गुनाहों का देवता उपन्यास में सुधा और चंदर के संवाद महत्वपूर्ण और दिल को छूने वाले हैं। इन संवादों में प्रेम, दुःख, और सामाजिक दबाव की झलक मिलती है। यहां सुधा और चंदर के संवाद का एक अंश प्रस्तुत है:
**चंदर**:
"सुधा, तुम मेरे लिए कुछ भी नहीं हो सकती हो, तुम्हारे लिए मैं केवल एक गुनाह हूँ, एक अपराधी। मैं तुम्हें अपने साथ नहीं ले जा सकता, क्योंकि मैं तुमसे प्यार करता हूँ।"
**सुधा**:
"चंदर, तुम क्या कहते हो? क्या तुम मुझे छोड़कर चले जाओगे? क्या तुम मुझसे दूर हो जाओगे? अगर तुम मुझसे प्यार करते हो, तो मुझे छोड़ क्यों रहे हो?"
**चंदर**:
"मुझे छोड़कर जाना ही हमारी सलामती है, सुधा। मैं जानता हूँ कि समाज और परंपराएँ हमें अलग कर देंगी। मैं नहीं चाहता कि तुम मेरी वजह से दुखी रहो।"
**सुधा**:
"लेकिन चंदर, क्या तुम नहीं समझते कि तुम्हारे बिना मेरी जिंदगी अधूरी है? क्या तुम नहीं समझते कि मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ?"
**चंदर**:
"सुधा, मैं तुम्हें दुख नहीं देना चाहता, लेकिन मेरे लिए यह गुनाह होगा। अगर मैं तुम्हारे साथ रहूँगा, तो मैं समाज के खिलाफ जाऊँगा और हम दोनों को कष्ट होगा।"
**सुधा**:
"क्या प्रेम समाज के डर से कम हो जाता है? क्या तुम्हें यह नहीं लगता कि अगर हम अपने दिल की सुनें, तो कोई भी रुकावट हमें नहीं रोक सकती?"
यह संवाद चंदर और सुधा के बीच के प्रेम और समाज के दबाव को दिखाता है। चंदर अपनी जिम्मेदारियों और समाज के विचारों से ग्रस्त है, जबकि सुधा अपनी भावनाओं और प्रेम में विश्वास करती है। यह संवाद उनके बीच के संघर्ष और भावनाओं की जटिलता को प्रदर्शित करता है।
Full Story Download Link