अल-कायदा का वर्तमान (2024 तक):
हालांकि ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद अल-कायदा की शक्ति और प्रभाव में कमी आई है, लेकिन यह संगठन पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है। अल-कायदा आज भी सक्रिय है और आतंकवाद के वैश्विक खतरे के रूप में मौजूद है। हाल के वर्षों में, अल-कायदा ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है और खुद को पुनर्गठित करने की कोशिश की है। इसके अलावा, कई शाखाओं के जरिए अलग-अलग क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति बनाए रखी है।
नेतृत्व और संगठन:
ओसामा बिन लादेन की मौत के बाद, अल-कायदा का नेतृत्व **अयमान अल-जवाहिरी** ने संभाला, जो संगठन के एक प्रमुख विचारक और बिन लादेन के करीबी सहयोगी थे। जवाहिरी ने संगठन को चलाने की कोशिश की, लेकिन उनकी नेतृत्व क्षमता और करिश्मा बिन लादेन जैसा प्रभावी नहीं था। 2022 में, अयमान अल-जवाहिरी को भी अमेरिकी ड्रोन हमले में मार दिया गया, जिससे अल-कायदा के नेतृत्व को एक और बड़ा झटका लगा।
जवाहिरी की मौत के बाद संगठन के नए नेता के रूप में **सैफ अल-अदिल** का नाम सामने आया है, जो कि अल-कायदा का एक वरिष्ठ कमांडर और अनुभवी आतंकवादी है। हालांकि, अल-अदिल के नेतृत्व में संगठन ने अब तक कोई बड़ा हमला नहीं किया है, लेकिन वह अभी भी भूमिगत है और संगठन को नए सिरे से संगठित करने की कोशिश कर रहा है।
क्षेत्रीय शाखाएं और नेटवर्क:
अल-कायदा अब एक केंद्रीकृत संगठन नहीं है, बल्कि यह कई अलग-अलग शाखाओं में बंट चुका है जो विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय हैं। अल-कायदा की प्रमुख शाखाएं निम्नलिखित हैं:
अल-कायदा इन द अरेबियन पेनिन्सुला (AQAP): यह शाखा यमन और सऊदी अरब में सक्रिय है और इसे अल-कायदा की सबसे खतरनाक शाखाओं में से एक माना जाता है। AQAP ने कई बड़े आतंकवादी हमलों की योजना बनाई है और पश्चिमी देशों को निशाना बनाने की कोशिश की है।
अल-कायदा इन द इस्लामिक मगरेब (AQIM): यह शाखा उत्तरी अफ्रीका और साहेल क्षेत्र में सक्रिय है। यह शाखा स्थानीय विद्रोहियों के साथ मिलकर काम करती है और क्षेत्रीय सरकारों को अस्थिर करने की कोशिश करती है।
अल-शबाब: यह सोमालिया में सक्रिय अल-कायदा से जुड़ा संगठन है, जो पूर्वी अफ्रीका में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देता है। अल-शबाब ने केन्या और सोमालिया में कई घातक हमले किए हैं।
हयात तहरीर अल-शाम (HTS): यह संगठन सीरिया में सक्रिय है और कभी अल-कायदा से जुड़ा हुआ था। हालांकि, अब इसने अल-कायदा से खुद को अलग कर लिया है, लेकिन इसके कुछ तत्व आज भी अल-कायदा के साथ सहानुभूति रखते हैं।
आईएसआईएस (ISIS) से प्रतिस्पर्धा:
2010 के दशक के मध्य में, **आईएसआईएस (इस्लामिक स्टेट)** का उदय हुआ, जिसने अल-कायदा के प्रभाव को कमजोर कर दिया। आईएसआईएस ने अल-कायदा से अलग होकर एक और कट्टरपंथी संगठन के रूप में उभरने की कोशिश की और कई देशों में अपनी पकड़ बनाई। आईएसआईएस की कठोर और क्रूर रणनीति ने कई आतंकवादियों को अपनी ओर आकर्षित किया, जिससे अल-कायदा को चुनौती मिली।
हालांकि, 2019 के बाद से आईएसआईएस का प्रभाव कमजोर पड़ गया, लेकिन अब भी अल-कायदा और आईएसआईएस के बीच प्रतिस्पर्धा जारी है। दोनों संगठनों के बीच विचारधारात्मक मतभेद हैं, लेकिन दोनों ही आतंकवादी एजेंडा को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं।
अल-कायदा की नई रणनीति:
अल-कायदा ने हाल के वर्षों में अपनी रणनीति में बदलाव किया है। जहां पहले यह संगठन बड़े पैमाने पर हमलों पर जोर देता था, अब यह अधिक क्षेत्रीय संघर्षों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। अल-कायदा ने स्थानीय स्तर पर विद्रोही गुटों के साथ गठजोड़ किया है और स्थानीय संघर्षों में हिस्सा लेकर अपनी पकड़ मजबूत की है। इसके अलावा, अल-कायदा ने बड़े पैमाने पर वैश्विक हमलों के बजाय धीमे और निरंतर जिहाद पर ध्यान केंद्रित किया है।
सोशल मीडिया और प्रचार:
अल-कायदा अब भी अपनी विचारधारा का प्रचार करने के लिए सोशल मीडिया और इंटरनेट का इस्तेमाल करता है। हालांकि, कई देशों द्वारा किए गए साइबर प्रयासों और सुरक्षा उपायों के चलते अल-कायदा का ऑनलाइन प्रभाव कम हुआ है, लेकिन फिर भी यह संगठन ऑनलाइन प्लेटफार्मों के माध्यम से नई भर्ती करने और आतंकवादी विचारधारा फैलाने की कोशिश कर रहा है।