भाखड़ा नांगल परियोजना
पंजाब में सतलज नदी पर स्थित भारत की सबसे बड़ी बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना है। यह राजस्थान, पंजाब और हरियाणा की संयुक्त परियोजना है। इसमें राजस्थान की हिस्सेदारी 15.2 प्रतिशत है। इसकी कुल लम्बाई 649 किमी है जिसमे से 169 किमी पंजाब तथा 14 किमी हरियाणा मे तथा शेष राजस्थान मे है।
भाखड़ा नांगल बाँध भूकंपीय क्षेत्र में स्थित विश्व का सबसे
ऊँचा गुरुत्वीय बाँध है।
यह बाँध पंजाब राज्य के होशियारपुर ज़िले में सतलुज नदी पर बनाया
गया है। यह बाँध 261
मीटर ऊँचे टिहरी बाँध के बाद भारत का दूसरा सबसे ऊँचा बाँध है। इसकी उँचाई 225.55 मीटर (740 फीट)
है। अमेरिका का 'हुवर
बाँध' 743 फीट
ऊँचा है।
व्यास परियोजना
इस परियोजना मैं दो बांधों का निर्माण किया गया है। व्यास
नदी पर 2 बांध
बनाए गये है जो हैं -
1)
पोंग बांध (विद्युत उत्पादन क्षमता - 396 MW) --हिमाचल प्रदेश (कांगड़ा
जिला)
2)
देहर बांध (विद्युत उत्पादन क्षमता - 990 MW) --हिमाचल प्रदेश (मण्डी
जिला)
राजस्थान नहर
राजस्थान नहर सतलज और व्यास नदियों के संगम पर निर्मित
"हरिके बांध" से निकाली गई है। यह नहर पंजाब व राजस्थान को पानी की
आपूर्ति करती है। पंजाब में इस नहर की लम्बाई 169 किलोमीटर है
और वहां इसे राजस्थान फीडर के नाम से जाना जाता है। इससे इस क्षेत्र में सिंचाई नहीं
होती है बल्कि पेयजल की उपलब्धि होती है। राजस्थान में इस नहर की लम्बाई 470 किलोमीटर है।
राजस्थान में इस नहर को राज कैनाल भी कहते हैं। राजस्थान नहर इसकी मुख्य शाखा
या मेन कैनाल 256
किलोमीटर लंबी हे जबकि वितरिकाएं 5606 किलोमीटर और इसका सिंचित क्षेत्र 19.63 लाख हेक्टेयर
आंका गया है। इसकी मेनफीडर 204
किलोमीटर लंबी है जिसका 35
किलोमीटर हिस्सा राजस्थान व 170
किलोमीटर हिस्सा पंजाब व हरियाणा में है।यह नहर राजस्थान की एक प्रमुख नहर है।
दामोदर घाटी परियोजना
यह नदी घाटी परियोजना झारखंड में बनाई गई। दामोदर नदी
झारखंड की प्रमुख नदी है। इस परियोजना के अंतर्गत 8 बड़े बांध, एक अवरोधक बांध, 6 जल
विद्युत गृह,
तीन ताप विद्युत गृह का निर्माण किया गया है। इस परियोजना से 12000 मेगावाट
बिजली का उत्पादन किया जाता है साथ ही 8 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की जाती है।
हीराकुण्ड परियोजना
हीराकुद बाँध ओड़िशा में महानदी पर निर्मित एक बाँध है। यह
सम्बलपुर से 15 किमी
दूर है। 1957 में
महानदी पर निर्मित यह बाँध संसार का सबसे बड़ा एवं लंबा बांध है। इसकी कुल लम्बाई 25.8 किमी०
है। इस बाँध के पीछे विशाल जलाशय है जो एशिया का सबसे बड़ा कृत्रिम झील है।
यह बांध विश्व का सबसे बड़ा एवं लंबा बांध है। हीराकुंड
परियोजना पर हीराकुंड के अलावा दो और बांध उपस्थिति हैं।
1-
टिक्करपाड़ा बांध 2-
नाराज बांध
चम्बल परियोजना
चंबल नदी पर चार बांध - गांधी सागर (मंदसौर)मध्यप्रदेश , राणा प्रताप सागर (रावतभाटा)चित्तौड़ , जवाहर सागर बांध (बूंदी),कोटा बेराज (कोटा) बनाए गए है। इस परियोजना से राजस्थान और मध्यप्रदेश मे सिंचाई और मिट्टी सरंक्षण हुआ है। इसकी सिंचाई क्षमता 5 लाख हेक्टेयर है। जल विधुत 386 मेगावाट है। चम्बल परियोजना तीन चरणो मे पुर्ण हुई 1 गान्धी सागर बान्ध विधुत क्षमता 115mw 2 राणा प्रताप सागर बान्ध विधुत क्षमता 172mw 3 जवाहर सागर बांध विधुत क्षमता 99mw है।
तुंगभद्रा परियोजना
तुंगभद्रा परियोजना भारत की एक प्रमुख नदी घाटी परियोजना
है। यह कर्नाटक व आन्ध्रप्रदेश राज्य का संयक्त उपक्रम है। यह बाँध तुंगभद्रा नदी
पर (यह कृष्णा नदी की सहायक नदी है) मल्लम पुरम के निकट बनाया गया हे।
लाभान्वित होने वाले राज्य कर्नाटक और आन्ध्र प्रदेश हैं।
मयुराक्षी परियोजना
यह मयूराक्षी नदी पर बनी है मयुराक्षी परियोजना के अंतर्गत
लाभान्वित होने वाले राज्य झारखण्ड एवं पश्चिम बंगाल हैं।
नागार्जुन सागर परियोजना
नागार्जुन बाँध हैदराबाद से 150 किमी दूर, कृष्णा नदी पर
स्थित है। इसका निर्माण 1966 में पूरा हुआ था। 4 अगस्त 1967 में
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी द्वारा इसकी दोनों नहरों में पहली बार पानी छोड़ा
गया था। इस बाँध से निर्मित नागार्जुन सागर झील दुनिया की तीसरी सब से बड़ी मानव
निर्मित झील है। विश्व की सबसे बड़ी कृत्रिम झील गोविन्द वल्लभ पंत सागर झील है, जो उत्तर
प्रदेश और मध्य प्रदेश के सीमा पर है।
कोसी परियोजना
कोसी नदी पर सन 1958 एवं 1962
के बीच एक बाँध (बराज) बनाया गया। यह बाँध भारत-नेपाल सीमा के पास नेपाल में
स्थित है। इसमें पानी के बहाव के नियंत्रण के लिये 56 द्वार
बने हैं जिन्हें नियंत्रित करने का कार्य भारत का हैं।
गण्डक परियोजना
यह बिहार और उत्तर प्रदेश की संयुक्त नदी घाटी परियोजना है।
1959 के
भारत-नेपाल समझौते के तहत इससे नेपाल को भी लाभ है। इस परियोजना के अन्तर्गत गंडक
नदी पर त्रिबेनी नहर हेड रेगुलेटर के नीचे बिहार के बाल्मीकि नगर मे बैराज बनाया
गया। इसी बैराज से चार नहरें निकलतीं हैं, जिसमें से दो
नहरें भारत मे और दो नहर नेपाल में हैं। यहाँ 15 मेगावाट बिजली
का उत्पादन होता है और यहाँ से निकाली गयी नहरें चंपारण के अतिरिक्त उत्तर प्रदेश
के बड़े हिस्से की सिंचाई करतीं है।
फरक्का परियोजना
फ़रक्का बांध (बैराज) भारत के पश्चिम बंगाल प्रान्त में
स्थित गंगा नदी पर बना एक बांध है। इस
बांध का निर्माण कोलकाता बंदरगाह को गाद (silt) से मुक्त कराने
के लिये किया गया था जो की 1950
से 1960
तक इस बंदरगाह की प्रमुख समस्या थी। कोलकाता हुगली नदी पर स्थित एक प्रमुख
बंदरगाह है।
काकरापारा परियोजना
यह परियोजना गुजरात के सूरत शहर से 80 किलोमीटर की
दूरी पर काकरापार के पास तापी नदी पर स्थित
है। यह एक सिंचाई परियोजना है जो गुजरात सरकार द्वारा वित्तपोषित है। यह
स्थान काकरापार परमाणु ऊर्जा स्टेशन के लिए भी प्रसिद्ध है।
तवा परियोजना
तवा परियोजना को नर्मदा की सहायक तवा नदी पर बांध बनाया गया
है जो मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम जिले में स्थित है। यह बांध 58 मीटर ऊँचा एवं 1815
मीटर लम्बा है । बांध की अधिकतम ऊँचाई नींव की गहनतम सतह से 58 मीटर है । इस बांध
एवं नहर का निर्माण कार्य सन् 1978 में पूर्ण हो चुका है। इसकी संचयन क्षमता 1993
मिलियन घन मीटर है ।
नागपुर शक्ति
नागपुर शक्ति गृह परियोजना कोराडी नदी पर महाराष्ट्र में स्थित है। इससे लाभान्वित होने वाला राज्य में महाराष्ट्र है।
उकाई परियोजना
इस परियोजना के अंतर्गत उकाई बाँध ताप्ती नदी पर गुजरात
राज्य के सूरत ज़िले में बनाया गया है। यहाँ 300 मेगावाट की
विद्युत इकाई लगाई गयी है
पूचमपाद परियोजना (श्रीराम
सागर परियोजना)
पोचमपाडु परियोजना को श्रीराम सागर परियोजना के रूप में भी
जाना जाता है,
जो गोदावरी पर एक भारतीय बाढ़-प्रवाह परियोजना है। यह परियोजना निज़ामाबाद
जिले में स्थित है।
श्रीरामसागर करीमनगर, वारंगल, आदिलाबाद, निज़ामाबाद और
खम्मम जिलों में सिंचाई की जरूरतों को पूरा करने के लिए तेलंगाना में गोदावरी नदी
पर एक सिंचाई परियोजना है।
यह वारंगल शहर को पीने का पानी भी उपलब्ध कराता है। बांध
स्थल पर एक जलविद्युत संयंत्र काम कर रहा है, जिसमें 9 मेगावाट क्षमता
वाले 4 टर्बाइन
हैं, जिनमें
से प्रत्येक में 36
मेगावाट बिजली पैदा होती है।
मालप्रभा परियोजना
मालाप्रभा बांध कर्नाटक का सबसे छोटा बांध है। इसे बेलगाम
में मालाप्रभा नदी के पार बनाया गया था। यह प्रसिद्ध कृष्णा नदी की एक सहायक नदी
है। यह बेलगावी में सौंदत्ती शहर में स्थित है।
माही परियोजना
माही नदी मध्यप्रदेश के धार जिले में सरदारपुरा गाँव से
निकलती है।माही नदी मध्य प्रदेश,
राजस्थान व गुजरात से होकर बहती है।
इस परियोजना का निर्माण सन 1972 में हुआ था। यह
राजस्थान के बाँसवाड़ा ज़िले में राजस्थान और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है।
यहाँ पर 25 मेगावाट
की दो विद्युत इकाइयाँ लगाई गयी हैं।
महानदी डेल्टा परियोजना
महानदी सिंचाई परियोजना, छत्तीसगढ़ की
सबसे पुरानी सिंचाई परियोजना में से एक है, जो की 1915 ई. के
बाद से चलाई जा रही है। इस पर बने प्रमुख बाँध हैं- रुद्री, गंगरेल तथा इस
नदी पर उड़ीसा में भारत का सबसे लंबा बांध हीराकुंड है।
रिहन्द परियोजना
उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्यों की सीमा पर रिहन्द नदी
(रेणुका नदी) पर स्थित एक नदी घाटी परियोजना है। रिहन्द बाँध उत्तर प्रदेश के
सोनभद्र ज़िले के पिपरी नगर में स्थित है और गोविंद वल्लभ पंत सागर पिपरी के
पहाड़ों के बीच रिहन्द नदी को बाँधने से बना जलाशय है। यह 30 किमी लम्बा व 15 किमी चौड़ा
जलाशय भारत की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है।
कुण्डा परियोजना
कुंडा परियोजना तमिलनाडु में कुंडा नदी पर स्थित है।
दुर्गापुर परियोजना
दुर्गापुर बैराज भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में पश्चिम
बर्धमान जिले के दुर्गापुर और आंशिक रूप से पश्चिम बर्धमान जिले में दामोदर नदी पर
बनाया गया है।
इडुक्की परियोजना
इडुक्की परियोजना केरल के पेरियार नदी पर बनी है,जिससे जल
विद्युत आपूर्ति होती है ।
टिहरी बांध परियोजना
टिहरी बाँध टेहरी विकास परियोजना का एक प्राथमिक बाँध है जो
उत्तराखण्ड राज्य के टिहरी जिले में स्थित है।
टिहरी बाँध की ऊँचाई 261 मीटर है जो इसे
विश्व का पाँचवा सबसे ऊँचा बाँध बनाती है।
टिहरी बाँध भारत का सबसे ऊँचा तथा विशालकाय बाँध है। यह
भागीरथी नदी पर 260.5 मीटर
की उँचाई पर बना है। जिसका उपयोग सिंचाई तथा बिजली पैदा करने हेतु किया जाता है।
इस बाँध से 2400 मेगावाट विद्युत उत्पादन, 270,000 हेक्टर क्षेत्र की सिंचाई और प्रतिदिन 102.20 करोड़ लीटर पेयजल दिल्ली, उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड को उपलब्ध कराना है।
माताटीला बहूद्देशीय परियोजना
यह बेतवा नदी पर ललित पुर जिले में स्थित है। माताटीला बाँध
से 163.60 लाख घन
मी॰ पेयजल उपलब्ध होता है। इस परियोजना से झांसी, जालौन, हमीरपुर, ग्वालियर जिले
लाभान्वित होते हैं।
कोयना परियोजना
महाराष्ट्र राज्य के सतारा ज़िले में कोयना नदी पर एक बाँध
है। यह महाराष्ट्र के सबसे बड़े बाँधों में से एक है। नदी को बाँधने पर बाँध के
पीछे एक बड़ा जलाशय बन गया,
जिसे शिवसागर सरोवर के नाम से जाना जाता है।
रामगंगा बहूद्देशीय परियोजना
रामगंगा नदी परियोजना के अन्तर्गत उत्तराखण्ड राज्य के
पौड़ी गढ़वाल जनपद में रामगंगा नदी पर 560 मीटर लम्बाई एवं 125 मीटर ऊँचाई वाला कालागढ़ बाँध एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा
सीमेन्ट रहित मिट्टी तथा पत्थर से निर्मित बाँध है। बाँध से संलग्न 66-66 मेगावाट
के तीन जलविद्युत संयन्त्र कार्यरत हैं, जिनसे 198
मेगावाट विद्युत उत्पादन होता है ।
ऊपरी क्रष्णा परियोजना
ऊपरी कृष्णा परियोजना (यूकेपी) दक्षिण भारत में कर्नाटक
राज्य के विजयपुरा जिले,
बगलकोट ,
कलबुर्गी ,
यादगीर और रायचूर जिलों के सूखाग्रस्त क्षेत्रों को सिंचाई प्रदान करने के लिए
कृष्णा नदी पर एक सिंचाई परियोजना है । यह परियोजना कर्नाटक सरकार द्वारा 1,536,000 एकड़
भूमि (6,220
किमी 2
) की सिंचाई के लिए डिजाइन की गई थी।
घाटप्रभा परियोजना
यह कृष्णा नदी की एक उपनदी है और कर्नाटक के चिक्कसंगम
ग्राम में उसमें दाई दिशा से विलय होती है। कर्नाटक के बेलगाम ज़िले के गोकाक शहर
से लगभग छह किमी दूर घटप्रभा पर गोकाक जलप्रपात स्थित है।
भीमा परियोजना
यह पुणे की पावना और उज्जैन की कृष्णा नदी पर बनी परियोजना
है।इस परियोजना से तेलंगाना और महाराष्ट्र राज्य लाभान्वित होते हैं।
जायकवाड़ी परियोजना
महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद ज़िले की पैठण तालुका में
जायकवाड़ी गाँवे के समीप गोदावरी नदी पर स्थित एक बाँध है।जो कृषि के लिए जल-प्रबन्धन करता है। इसके द्वारा
जलविद्युत ऊर्जा का उत्पादन भी होता है।
थीन डैम परियोजना (रणजीत सागर बाँध)
थीन बाँध परियोजना पंजाब के पठानकोट ज़िले में रावी नदी पर
थीन बाँध बनाया गया है। इसको 'रणजीत
सागर बाँध' के नाम
से भी जाना जाता है।
हिडकल परियोजना
हिडकल परियोजना घाटप्रभा नदी पर स्थित है जो की कर्नाटक में है।
सलाल परियोजना
सलाल परियोजना भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य में चिनाब नदी पर
स्थापित एक जलविद्युत परियोजना है।
नाथपा-झाकरी परियोजना
नाथपा झाकड़ी जलविद्युत परियोजना हिमाचल प्रदेश में
राष्ट्रीय राजमार्ग 22
भारत - तिब्बत मार्ग पर,
सतलुज नदी पर स्थित है। इस परियोजना को विश्व की सबसे लंबी जल सुरंग के नाम से
भी जाना जाता है।
थानम परियोजना (थंडावा परियोजना)
इस परियोजना का निर्माण 1965 से 1975 के
दौरान थंडवा (बोड्डेरु) नदी पर 51465
एकड़ भूमि को सिंचाई सुविधा प्रदान करने के लिए किया गया था।
कोलडैम परियोजना
कोलडैम बांध जलविद्युत परियोजना चंडीगढ़-मनाली राजमार्ग
(एनएच -21) और
बिलासपुर जिले और मंडी जिले,
हिमाचल प्रदेश,
भारत की सीमा पर बरमाणा के पास सतलुज नदी पर एक तटबंध बांध है। परियोजना की
कुल क्षमता 800
मेगावाट है, इस परियोजना से हिमाचल प्रदेश, दिल्ली एवं
उत्तर प्रदेश लाभान्वित होंगे।
कांगसावती परियोजना
कांगसावती परियोजना कांगसावती नदी पर बना हुआ है यह सिंचाई
एवं जल विद्युत शक्ति प्रदान करने के लिए बनाया गया है कांगसावती पश्चिम बंगाल में
है
पराम्बिकुलम-अलियार परियोजना
पराम्बिकुलम
यह जलाशय 1535 फीट
लंबे मिट्टी के बांध से बना है और इसकी कुल क्षमता 620 एमसीएफटी है।
यह एक खुले कट चैनल द्वारा थुनकाडावु जलाशय से जुड़ा हुआ है। बांध स्थल पर
थुनाकादावु नदी पेरुवारिपल्लम का संयुक्त जलग्रहण क्षेत्र 22.80 वर्ग
मील है।
अलियार
अलियार नदी पर एक बांध के निर्माण से एक जलाशय का निर्माण
हुआ है और इसकी कुल क्षमता 3,864
एमसीएफटी है। इस जलाशय से दो सिंचाई नहरें यानी वेट्टईकरनपुदुर और पोलाची नहर
निकलती हैं। इस जलाशय का उद्देश्य तमिलनाडु राज्य और केरल राज्य में मौजूदा कमांड
क्षेत्र की आवश्यकताओं को पूरा करना भी है। अलियार बांध स्थल पर जलग्रहण क्षेत्र 76 वर्ग मील है।
नर्मदा घाटी परियोजना
नर्मदा घाटी परियोजना मध्य प्रदेश की सबसे महत्वपूर्ण एवं
जीवनदायिनी कहे जाने वाली नर्मदा नदी पर केंद्रित हैं।
नर्मदा नदी मध्य प्रदेश के अमरकंटक से निकल कर अरब सागर में
मिलती हैं। इस बीच यह ३ राज्यो मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और
गुजरात की सीमा से होकर बहती हैं। इसकी कुल लंबाई 1312 किमी हैं।
नर्मदा घाटी परियोजना का गठन 9 अगस्त 1985 किया
गया। इस नदी पर लगभग 28
परियोजनाएं बनाई गई हैं जिनमें से कुछ
पूर्ण हो चुकी हैं और कुछ का क्रियान्वयन जारी है।
जिसमें कुछ प्रमुख - इंदिरा सागर बाँध, सरदार सरोवर
बाँध, बरगी
परियोजना, ओंकारेश्वर
परियोजना, तवा
परियोजना हैं।
जाखम परियोजना
जाखम परियोजना भारत के राजस्थान राज्य में जाखम नदी पर निर्मित बाँध परियोजना है।
टिहरी पन बिजली परियोजना (टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड)
टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड भारत सरकार एवं उ.प्र. सरकार का
संयुक्त उपक्रम है। इसका गठन जुलाई,1988 में 2400 मेगावाट के टिहरी हाइड्रो पावर कॉम्पलैक्स
तथा अन्य जल विद्युत परियोजनाओं के विकास, परिचालन एवं
अनुरक्षण के लिए किया गया था।