डाल्टन का परमाणु सिद्धांत
डाल्टन के परमाणु सिद्धान्त से संबन्धित सभी सवालों जैसे डाल्टन का परमाणु सिद्धांत क्या था? या डाल्टन का परमाणु सिद्धांत के प्रमुख बिंदु कौन - कौन से हैं ? के उत्तर आपको यहाँ मिलेंगे।
द्रव्य के छोटे अविभाज्य
कणों, जिन्हें
एटोमोस (Atomos) अर्थात्
'अविभाज्य' कहा जाता था, इसके बने होने के विचार की उत्पत्ति ग्रीक दर्शनशास्त्री डिमेक्रिट्स (460-370 BC) के समय हुई, परंतु कई
प्रायोगिक अध्ययनों (जिन्होंने उपरोक्त नियमों को जन्म दिया के फलस्वरूप इस पर फिर
से विचार किया जाने लगा।
सन् 1808 में डाल्टन ने रसायन- दर्शनशास्त्र की एक नई पद्धति (A New System of Chemical Philosophy) प्रकाशित की, जिसमें उन्होंने निम्नलिखित तथ्य प्रस्तावित किए-
(i) सभी द्रव्य परमाणुओं से बने होते हैं।
(ii) किसी दिए हुए तत्त्व के सभी परमाणुओं के एक समान द्रव्यमान सहित एक समान गुणधर्म होते हैं।
(iii) भिन्न-भिन्न तत्वों के परमाणुओं के
द्रव्यमान एवं रासायनिक गुणधर्म भिन्न-भिन्न होते हैं।
(iv) एक
से अधिक तत्त्वों के परमाणुओं के निश्चित अनुपात में संयोजन से यौगिक बनते हैं।
(v) रासायनिक अभिक्रियाओं में परमाणु पुनर्व्यवस्थित होते हैं। परमाणु अविभाज्य सूक्ष्मतम कण होते हैं जो रासायनिक अभिक्रिया में न तो सृजित होते हैं और न ही उनका विनाश होता है।
डाल्टन के इस सिद्धांत से रासायनिक संयोजन के नियमों की व्याख्या की जा सकी। यद्यपि इससे गैसीय आयतनों के नियम की व्याख्या नहीं की जा सकी । यह परमाणुओं के संयोजन के कारण भी नहीं बता सका। जिसकी बाद में अन्य वैज्ञानिकों ने व्याख्या की।