इलेक्ट्रॉन की खोज
सन् 1830 में माइकेल फैराडे ने
दर्शाया कि यदि किसी विलयन में विद्युत् प्रवाहित की जाती है, तो
इलेक्ट्रोडों पर रासायनिक अभिक्रियाएँ होती हैं, जिनके परिणामस्वरूप इलेक्ट्रोडों पर पदार्थ का विसर्जन और
निक्षेपण (deposition) होता
है। इन परिणामों से विद्युत् की कणीय प्रकृति के बारे में
पता चलता है।
1850 के मध्य में अनेक वैज्ञानिक, विशेषकर फैराडे
ने आंशिक रूप से निर्वातित नलिकाओं,
जिन्हें कैथोड किरण नलिकाएँ कहा जाता है,
में विद्युत् विसर्जन का अध्ययन आरंभ किया।
कैथोड किरण नलिका काँच की बनी होती है, जिसमें धातु के
दो पत टुकड़े, जिन्हें
इलेक्ट्रोड कहते हैं, सील
किए हुए होते हैं। गैसों में विद्युत्-विसर्जन को सिर्फ निम्न दाब एवं उच्च विभव
पर प्रेक्षित किया जा सकता है। काँच की नलिकाओं में विभिन्न गैसों के दाब को
निर्वातन द्वारा नियंत्रित किया गया। इस प्रकार जब इलेक्ट्रोडों पर उच्च वोल्टता
लागू की गई, तो
नलिका में कणों की धारा के द्वारा ऋणात्मक इलेक्ट्रोड ( कैथोड) से धनात्मक
इलेक्ट्रोड (ऐनोड) की तरफ विद्युत् का प्रवाह आरंभ हो गया। इनको कैथोड किरणें अथवा
कैथोड किरण कण कहते हैं।
कैथोड से ऐनोड तक विद्युत् धारा के प्रवाह की अतिरिक्त जाँच के लिए ऐनोड में छिद्र तथा ऐनोड के पीछे नली पर स्फुरदीप्त पदार्थ (जिंक सल्फाइड) का लेप किया जाता है। जब ये किरणें ऐनोड के छिद्र में से गुजरकर जिंक सल्फाइड की परत पर टकराती हैं तथा वहाँ एक चमकीला चिह्न बन जाता है
इस प्रयोग के परिणाम का सारांश
निम्नलिखित हैं-
(i) कैथोड किरणें (cathode rays) कैथोड से आरंभ होकर ऐनोड की ओर गमन करती हैं।
(ii)ये किरणें स्वयं दिखाई नहीं देतीं, परंतु इनके व्यवहार को गैसों तथा कुछ निश्चित प्रकार के पदार्थों (स्फुरदीप्त तथा प्रतिदीप्त) की उपस्थिति में देखा जा सकता है। ये पदार्थ इन किरणों के टकराने से चमकते हैं।
जैसे - टेलीवीजन चित्र नलिका कैथोड किरण नलिका होती है। टी. वी. पर्दा स्फुरदीप्त एवं
प्रतिदीप्त पदार्थों से लेपित होता है जिस पर चित्र प्रतिदीप्त होते हैं।
(iii) विद्युत् और चुंबकीय क्षेत्रों की अनुपस्थिति में ये किरणें सीधी दिशा में गमन करती हैं।
(iv) विद्युत् और चुंबकीय क्षेत्रों की उपस्थिति में कैथोड किरणों का व्यवहार ऋणावेशित कणों के अपेक्षित व्यवहार के समान होता है, जो यह सिद्ध करता है कि कैथोड किरणों में ऋणावेषित कण होते हैं, जिन्हें इलेक्ट्रॉन कहते हैं।
(v) कैथोड-किरणों (इलेक्ट्रॉन) के लक्षण कैथोड किरण नलिका के इलेक्ट्रोडों के पदार्थ एवं उसमें उपस्थित गैस की प्रकृति पर निर्भर नहीं करते ।
उपरोक्त परिणामों से यह निष्कर्ष निकलता है कि इलेक्ट्रॉन सभी परमाणुओं के मूल घटक होते हैं।