भारत की प्रमुख गुफाएं तथा उनके स्थान
अजंता गुफाएं
👉ये गुफाएँ महाराष्ट्र में औरंगाबाद के पास वाघोरा नदी के पास सह्याद्रि पर्वतमाला (पश्चिमी घाट) में रॉक-कट गुफाओं की एक श्रृंखला के रूप में स्थित हैं।
👉इसमें कुल 29 गुफाएँ (सभी बौद्ध) हैं, जिनमें से 25 को विहार या आवासीय गुफाओं के रूप में जबकि 4 को चैत्य या प्रार्थना हॉल के रूप में इस्तेमाल किया जाता था।
👉गुफाओं का विकास 200 ई.पू. से 650 ईस्वी के मध्य हुआ था।
👉वाकाटक राजाओं जिनमें हरिसेना एक प्रमुख था,
के संरक्षण में अजंता की गुफाएँ बौद्ध भिक्षुओं द्वारा उत्कीर्ण की
गई थीं।
👉अजंता की गुफाओं की जानकारी चीनी बौद्ध यात्रियों फ़ाहियान (चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल के दौरान 380- 415 ईस्वी) और ह्वेन त्सांग (सम्राट हर्षवर्धन के शासनकाल के दौरान 606 - 647 ईस्वी) के यात्रा वृतांतों में पाई जाती है।
👉इन गुफाओं में आकृतियों को फ्रेस्को पेंटिंग
का उपयोग करके दर्शाया गया था।
👉इन गुफाओं के चित्रों में लाल रंग की
प्रचुरता है किंतु नीले रंग की अनुपस्थिति है।
👉इन चित्रों में सामान्यतः बुद्ध और जातक
कहानियों को प्रदर्शित किया गया है।
👉यूनेस्को स्थल: इन गुफाओं को वर्ष 1983 में यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थल घोषित किया था।
एलोरा गुफाएं
👉ये गुफाएँ महाराष्ट्र की सह्याद्रि
पर्वतमाला में अजंता की गुफाओं से लगभग 100 किलोमीटर दूर स्थित हैं।
👉यहाँ 34 गुफाओं का एक समूह है,
जिनमें 17 ब्राह्मण, 12 बौद्ध और 5 जैन धर्म
से संबंधित हैं।
👉इन गुफाओं के समूह को 5वीं से 11वीं शताब्दी
के मध्य विदर्भ, कर्नाटक और तमिलनाडु के विभिन्न शिल्पी
संघों द्वारा विकसित किया गया था।
👉इनकी शुरुआत राष्ट्रकूट वंश के शासकों
द्वारा की गई थी।
👉ये गुफाएँ विषय और स्थापत्य शैली के रूप में
प्राकृतिक विविधता को दर्शाती हैं।
👉यूनेस्को स्थल: इन गुफाओं को वर्ष 1983 में
यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थल घोषित किया था।
👉एलोरा की गुफाओं के मंदिरों में सबसे उल्लेखनीय कैलासा (कैलासनाथ; गुफा संख्या 16) है, जिसका नाम हिमालय के कैलास पर्वत (हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव का निवास स्थान) के नाम पर रखा गया है।
एलोरा में तीन प्रकार की गुफ़ाएँ हैं:-
• महायानी
बौद्ध गुफ़ाएँ
• पौराणिक
हिंदू गुफ़ाएँ
• दिगंबर जैन गुफ़ाएँ
एलिफेंटा गुफाएं
👉एलीफेंटा गुफाओं का वर्णन बादामी चालुक्य सम्राट पुलकेशिन द्धितीय द्धारा कोंकण के मौर्य शासकों की हार के समय से मिलता हैं।
👉भगवान शिव को समर्पित इन विशाल एलीफेंटा गुफाओं को पुरी या पुरिका के
नाम से जाना जाता था और यह घारापुरी द्धीप पहले कोंकण मौर्यों की राजधानी थी। पुर्तग़ालियों
ने द्वीप को एलिफेंटा का नाम दिया था।
👉इनमें हिंदू धर्म से संबंधित अनेक मूर्तियां, विशेषकर, शिव की मूर्तियां गुप्तकालीन कला के उत्तम उदाहरण हैं जो कि एलौरा और अजंता की मूर्तिकला के समकक्ष है।
बाघ गुफाएं
👉गुफ़ाएं नर्मदा की सहायक करद या बाघिनी नदी के तट पर और विन्ध्य पर्वत के दक्षिण ढलान पर स्थित हैं।
👉बाघ गुफ़ाओं के चित्रों की शैली अजंता के समान है तथा समकालीन है किन्तु बाघ की कला में अजन्ता के समान केवल धार्मिक विषय ही नहीं हैं, यहाँ पर मानवोचित भावों के चित्रण में वेगपूर्ण प्रवाह भी है।
👉बाघ गुफ़ाओं के भित्तिचित्रों में फूल, पक्षी व पशुओं का चित्रण विशेष महत्त्वपूर्ण है।
👉गुफ़ा संख्या 2 का सर्व प्रसिद्ध चित्र पद्मपाणि बुद्ध का है जो ‘पाण्डव गुफ़ा’ के नाम से भी प्रचलित है जबकि तीसरी गुफा ‘हाथीखाना’ के नाम से जानी जाती है।
👉प्राचीन ग्वालियर राज्य की विंध्याचल पर्वत श्रृख्ंला में नमर्दा की एक सहायक नदी बागमती से 5 किमी. दूर बाघ नामक गाॅव के पास ये गुफाएं स्थित है।
👉स्थानीय लोग इन गुफाओं को पंच पांडू की गुफाएं भी कहते हैं। ये गुफाएं भी अजंता की तरह सैकड़ों वर्षों तक अज्ञात रही। स्थानीय लोग यह अवश्य जानते थे कि यहाॅ पर कुछ गुफाएं हैं, मगर चित्रित गुफाओं का उन्हें भी अन्दाज नहीं था।
👉बाघ की गुफाएं अजन्ता की तरह ही 500-700 ई. समय की है।
इन गुफाओं की दीवारों पर बौद्धकला के प्रमुख पहलुओं के चित्र अंकित हैं।
👉कुल 9 गुफाएं थीं अब केवल 4 मौजूद हैं। इस युग के रंगों में ऐसे तत्वों का प्रयोग हुआ, कि उससे न केवल चित्रांकन का जीवन बढ़ गया, बल्कि चित्रों में भी सजीवता आ गई है। नारियों के वस्त्र तथा आभूषण सुंदरता के साथ बनाये गए हैं।
भीमभेटका चट्टानी आश्रय गुफाएं
👉भीमबेटका गुफ़ाएँ भारत के मध्य प्रदेश प्रान्त के रायसेन ज़िले में स्थित है।
👉ये गुफ़ाएँ भोपाल से 46 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण में मौजूद है।
👉गुफ़ाएँ चारों तरफ़ से विंध्य पर्वतमालाओं से घिरी हुईं हैं, जिनका संबंध 'नव पाषाण काल' से है।
👉भीमबेटका गुफ़ाएँ मध्य भारत के पठार के दक्षिणी किनारे पर स्थित विंध्याचल की पहाड़ियों के निचले छोर पर हैं। इसके दक्षिण में सतपुड़ा की पहाड़ियाँ आरम्भ हो जाती हैं।
👉भीमबेटका गुफ़ाएँ प्रागैतिहासिक काल की चित्रकारियों के लिए लोकप्रिय हैं और भीमबेटका गुफ़ाएँ मानव द्वारा बनाये गए शैल चित्रों और शैलाश्रयों के लिए भी प्रसिद्ध है।
👉गुफ़ाओं की सबसे प्राचीन चित्रकारी को 12000 साल पुरानी माना जाता है।
👉भीमबेटका गुफ़ाओं में प्राकृतिक लाल और सफ़ेद रंगों से वन्यप्राणियों के शिकार दृश्यों के अलावा घोड़े, हाथी, बाघ आदि के चित्र उकेरे गए हैं।
👉2003 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया।
कन्हेरी गुफाएं
👉कन्हेरी गुफाएँ मुंबई के पश्चिमी बाहरी इलाके में स्थित गुफाओं और रॉक-कट स्मारकों का एक समूह है।
👉ये गुफाएँ संजय गांधी
राष्ट्रीय उद्यान के जंगलों के भीतर स्थित हैं।
👉कन्हेरी नाम प्राकृत में 'कान्हागिरि' से लिया गया है और इसका वर्णन सातवाहन
शासक वशिष्ठपुत्र पुलुमावी के नासिक शिलालेख में मिलता है।
👉विदेशी यात्रियों के यात्रा वृतांतों में
कन्हेरी का उल्लेख मिलता है।
👉कन्हेरी का सबसे पहला वर्णन फाहियान द्वारा
किया गया है, जो 399-411 ईस्वी के दौरान भारत आया और बाद
में कई अन्य यात्रियों ने भी इसका वर्णन किया।
👉यह देश में सबसे बड़े एकल उत्खनन में से एक
है।
👉उत्खनन का आकार एवं विस्तार, साथ ही कई जल के कुंड, अभिलेखों, सबसे पुराने बांधों में से एक, स्तूप कब्रगाह गैलरी एवं उत्कृष्ट वर्षा जल संचयन प्रणाली, मठवासी एवं तीर्थ केंद्र के रूप में इसकी लोकप्रियता को प्रमाणित करती है।
👉100 से अधिक गुफ़ाएँ संजय गाँधी राष्ट्रीय उद्यान के परिसर में स्थित, जो 8वी-9वी शताब्दी की हैं।
👉कन्हेरी चैत्यगृह की बनावट कार्ले के चैत्यगृह से मिलती है।
👉यह बौद्ध धर्म की शिक्षा हीनयान तथा महायान का एक बड़ा केंद्र रहा है।
बराबर गुफाएं
👉तीसरी शताब्दी ई.पू. में बराबर व नागार्जुनी चट्टानों को काटकर करवाया गया था।
👉अशोक की प्रमुख गुफ़ाएँ हैं- कर्णचैपार, विश्वझोपड़ी और सुदामा गुफ़ा। चौथी गुफ़ा में 5वीं सदी के मौखरि शासक अनंतवर्मन का लेख अंकित हैं।
👉दशरथ की गुफ़ाओं में लोमश ऋषि की गुफ़ा उल्लेखनीय है।
👉नागार्जुन पहाड़ी की तीनों गुफ़ाओं में अशोक के पौत्र देवानांप्रिय दशरथ के अभिलेख अंकित हैं, जो भिक्षुओं के आजीवक सम्प्रदाय के लिए दी गयी थीं।
👉मक्खलिपुत्त गोसाल ने आजीवक सम्प्रदाय चलाया था।
👉बराबर और नागार्जुनी की गुफाएं जुड़वा पहाड़ियों पर बनी है वही बराबर की गुफाएं ग्रेनाइट को काटकर बनाई गई है।
👉यह गुफाएं मौर्य काल के सम्राट अशोक और दशरथ मौर्य से संबंधित है।
👉बराबर की गुफाओं का उपयोग आजीविका संप्रदाय द्वारा किया गया जो जैन धर्म से संबंधित बताया जाता है अशोक स्वयं बौद्ध धर्म के अनुयायी थे।
👉आजीविका संप्रदाय की स्थापना मक्खलि गोसाल द्वारा की गई।
बौद्ध और जैन धर्म का हिंदू धर्म से अटूट लगाव के कारण इन गुफाओं में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां भी पाई जाती है।
👉आकर्षक प्रतिध्वनि प्रभाव भी बराबर की गुफाओं
में महसूस किया जा सकता है।