नारे/कथन |
नाम |
"सत्य और अहिंसा मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है" |
महात्मा गांधी |
"वंदे मातरम्" |
बंकिम चंद्र चटर्जी |
"स्वराज्य मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा' |
बाल गंगाधर तिलक |
"आओ हम पुरुषों की तरह बोलें और घोषणा कर दें कि हम पूरे राजभक्त हैं" |
दादाभाई नौरोजी |
"जयहिन्द", "दिल्ली चलो" |
सुभाष चंद्र बोस |
"तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा |
सुभाष चंद्र बोस |
"करो या मरो" |
महात्मा गांधी |
"हिंदी, हिन्दू हिन्दूस्तान" |
भारतेंदु हरिश्चंद्र |
“इंकलाब जिन्दाबाद" |
सरदार भगत सिंह |
"वेदों की ओर लौटो" |
स्वामी दयानंद सरस्वती |
"सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा" |
मोहम्मद इकबाल |
"राष्ट्रीयता एक धर्म है जो भगवान से आता है" |
अरविंद घोष |
"निर्धन, अज्ञानी, अशिक्षित और असहाय को अपना ईश्वर मानो। उनकी सेवा करना ही धर्म है" |
स्वामी विवेकानंद |
मैं भारत की लंबी बंदूक हूँ, जिसने सब सोने वालों को जगाया जिससे वे जाग सकें तथा अपनी मातृभूमि के लिये कार्य कर सकें" |
एनी बेसेंट |
"हमें ऐसी कार दी गई है जिसमें ब्रेक तो है इंजन नहीं" (भारत सरकार 1935 एक्ट पर) |
जवाहर लाल नेहरू |
"हम देश की उन्नति के उस चरण पर हैं जहां हमारी उपलब्धियां थोड़ी ही होंगी और हमारी निराशायें अधिक और कठोर" |
गोपाल कृष्ण गोखले |
“एक सांप्रदायिकता से दूसरी सांप्रदायिकता समाप्त नहीं होती। प्रत्येक एक दूसरे को बढ़ावा देती है, और दोनों ही पनपती है"
|
जवाहर लाल नेहरू |
"जनगणमन अधिनायक जय हो भारत भाग्य विधाता" |
रवींद्र नाथ टैगोर |