तालिका की व्याख्या एवं विश्लेषण,Table interpretation and analysis

तालिका की व्याख्या एवं विश्लेषण पर आधारित प्रश्न,ग्राफ की व्याख्या एवं विश्लेषण प्रारंभिक अंकगणित,तालिका व्याख्या और विश्लेषण,तालिका सम्बन्धी प्रश्न

तालिका (Table)

 परिचय (Introduction)

आँकड़े या समंक (Data) संख्याओं के समूह या संख्याओं के चित्रमय प्रदर्शन होते हैं। इनकी सहायता से बिना विस्तार में गए पूरे परिप्रेक्ष्य की मुख्य बातों को आरेख के माध्यम से जाना जा सकता है। ये आँकड़े किसी भी क्षेत्र विशेष से संबंधित हो सकते हैं ।

जैसे- आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, भौगोलिक, खगोलीय या वैयक्तिक आदि।

बिना किसी संकेतक या संसूचक (Qualifier) के आँकडों या संमकों (Data) की कोई वैधता नहीं होती।

ये स्वयं किसी भी तथ्य का प्रकाशन नहीं करते।

उदाहरण के लिये यदि 30 लिखा जाए तो इससे किसी तथ्य का पता नहीं चलता, जबकि यह एक आँकड़ा (Data) है। हो सकता है कि यह आयु, भार, तापमान या अन्य किसी तथ्य की पुष्टि करता हो, किंतु यदि यह कहा जाए कि UPSSSC' ने PET परीक्षा के लिये सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों की अधिकतम आयु-सीमा 30 वर्ष रखी है, तो इससे तथ्य पूरी तरह स्पष्ट हो जाता है। अब, यदि यहाँ यह वाक्य जोड़ा जाए कि UPSSSC' ने पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों के लिये इस परीक्षा की अधिकतम आयु सीमा 33 वर्ष रखी है तो इन दोनों तथ्यों के बीच तुलना भी की जा सकती है जिससे तथ्यों की विशिष्टता (विशिष्ट सूचना) का पता चल सकता है। उदाहरण के लिये, आयु सीमा के संबंध में पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों को सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों की तुलना में 3 वर्ष की छूट प्राप्त है। अब, यदि इस तथ्य को ध्यान में रखकर प्रश्न पूछा जाए कि पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों को सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों की तुलना में कितने प्रतिशत अधिक आयु तक परीक्षा में बैठने की छूट है, तो उत्तर होगा-

अर्थात्, UPSSSC द्वारा आयोजित PET की परीक्षा में पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों को सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों की आयु का 10% अधिक तक परीक्षा में बैठने की छूट है। अतः आँकड़े किसी भी घटना या दिये गए तथ्य की आंशिक या संपूर्णता में व्याख्या करने के लिये उपयोगी होते हैं।

आँकड़ों/समंकों के मुख्य लक्षण (Main Characteristics of Data)

आँकड़े स्वरूपगत दृष्टि से कुछ विशेष लक्षणों से युक्त होते हैं। आँकड़ों के परिचय में हमने पढ़ा कि ये अकेले नहीं होते बल्कि इनका एक विशिष्ट समूह होता है, जो संख्याओं में व्यक्त होते हैं। आँकड़ों का संग्रह पूर्व निर्धारित उद्देश्य के लिये होता है। साथ ही आँकड़े एक तय सीमा तक व्यवस्थित रूप से संकलित किये जाते हैं तथा ये एक-दूसरे से तुलनात्मक रूप में प्रस्तुत किये जाने के योग्य होते हैं। इनके संग्रहण तथा प्रस्तुतीकरण में उचित मात्रा तक शुद्धता का ध्यान रखा जाता है तथा आँकड़ों के संग्रहण में गणना या अनुमान विधि का प्रयोग होता है।

आँकड़ों का व्यवस्थीकरण एवं प्रदर्शन (Organisation and Presentation of Data)

आँकड़ों को प्रदर्शित करने की कई विधियाँ हैं, जिनमें- 

1.सारणीयन

2.रेखाचित्र 

3.दण्डचित्र 

4.वृत्तचित्र और 

5.मिश्रित चित्र (दण्ड चित्र तथा वृत्त चित्र को मिलाकर या सारणीयन या वृत्तचित्र को मिलाकर) आदि प्रमुख हैं। आइये, इन्हें उदाहरणों द्वारा समझने का प्रयास करते हैं

1. सारणीयन (Tabulation):  

यह आँकड़ों के प्रस्तुतीकरण की सबसे सरल विधि है। इसमें समंकों / आँकड़ों (Data) को स्तम्भों (Column) और पंक्तियों (Rows) में क्रमबद्ध रूप से व्यवस्थित किया जाता है। इसका एक उदाहरण द्रष्टव्य है 

उदाहरण-

नीचे दी गई तालिका में किसी विशेष वर्ष में किसी देश के विभिन्न राज्यों की जी.डी.पी. वृद्धि-दर और दूरसंचार सघनता आँकड़े दिखाए गए हैं। इस तालिका का अध्ययन कीजिये और प्रश्नांशों के उत्तर दीजिये। UPSC-2018

प्रश्न 1. ऊपर दी गई तालिका के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन-सा/से सर्वाधिक तार्किक और तर्कसंगत निष्कर्ष निकाला जा सकता है/निकाले जा सकते हैं?

I. उच्चतर प्रति व्यक्ति आय सामान्यतः उच्चतर दूरसंचार सघनता से संबद्ध होती है।
II. उच्चतर जी.डी.पी. वृद्धि-दर सदा उच्चतर प्रति-व्यक्ति आय को सुनिश्चित करती है।
III. उच्चतर जी.डी.पी. वृद्धि-दर उच्चतर दूरसंचार सघनता को आवश्यक रूप से सुनिश्चित नहीं करती।

नीचे दिये गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनिये।

            (a) केवल 1                    (b) 2 और 3

            (c) 1 और 3                   (d) केवल 3

2. ऊपर दी गई तालिका के संदर्भ में, निम्नलिखित पूर्वधारणाएँ बनाई गईं हैं-

1. आजकल, पहले से ही उच्च कार्यान्वयन करने वाले किसी राज्य की संपन्नता दूरसंचार आधारभूत संरचना में बड़े निवेशों को जारी रखे बिना कायम नहीं रखी जा सकती।

2. आजकल, बहुत उच्च दूरसंचार सघनता किसी राज्य में व्यवसाय एवं आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिये एक सबसे महत्त्वपूर्ण शर्त है।

उपर्युक्त में से कौन-सी पूर्वधारणा/पूर्वधारणाएँ वैध है/हैं?

(a) केवल 1                    (b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों            (d) न तो 1 न ही 2

3. निम्नलिखित सारणी में बताया गया है कि दो छात्रों ने भिन्न-भिन्न विषयों में कितने-कितने अंक प्राप्त कियेः |

छात्रों के माध्य समुच्चयी प्रतिशत अंकों में कितना अंतर है?

(a) 2.5%                       (b) 13.75%

(c) 1.25%                     (d) 0 UPSC -2014

4. निम्नलिखित सारणी में एक शहर की चार वर्षों की जनसंख्या और कुल आय प्रस्तुत है:

उपर्युक्त आँकड़ों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा एक कथन सही है?

(a) जनसंख्या में प्रति वर्ष 5% या अधिक वृद्धि

(b) आय में प्रति वर्ष 10% या अधिक वृद्धि हुई है।

(c) प्रति व्यक्ति आय हमेशा ₹5000 से अधिक रही है।

(d) प्रति व्यक्ति आय 1994 में सर्वाधिक थी। UPSC-2014

सारणी (Table)

सारणीयन वह व्यवस्था होती है जिसमें आँकड़ों को स्तम्भों (Columns) एवं पक्तियों (Rows) में व्यवस्थित किया जाता है। इसमें आँकड़ों की व्यवस्था इस प्रकार से की जाती है जिससे उन्हें आसानी से पढ़कर तथा तुलनात्मक विवेचन कर निष्कर्ष तक पहुँचा जा सके।

सारणी के मुख्य उद्देश्य तथा लक्षण (Main Objects and Characteristic of a Table)

सारणीयन का मुख्य उद्देश्य आँकड़ों को सुविधाजनक ढंग से प्रस्तुत करना है। स्तम्भों (Columns) और पक्तियों (Rows) में इस प्रकार की प्रस्तुति के कारण स्थान तथा समय की बचत तो होती ही है, साथ ही साथ आँकड़ों के मध्य तुलना भी आसानी से की जा सकती है। आँकड़ों के प्रस्तुतीकरण की स्पष्टता के कारण त्रुटियों की जाँच भी आसानी से की जा सकती है।

सारणी के प्रकार

सारणी कई प्रकार की हो सकती है। एक या दो मद (Item) के आँकड़ों (Data) को प्रदर्शित करने वाली सारणी सरल होती है जबकि दो या दो से अधिक मदों के आँकड़ों को एक साथ प्रदर्शित करने वाली सारणी जटिल प्रकार में रखी जाती है।

आइये, सारणी के विभिन्न प्रकारों को उदाहरणों द्वारा समझने का प्रयास करें।

एकगुण वाली सारणी :

इस प्रकार की सारणी में आँकड़ों के केवल एक ही गुण को दर्शाया जाता है। इसे पंक्ति तथा स्तंभों के माध्यम से केवल दो भागों में ही प्रस्तुत किया जाता है। नीचे दी गई सारणी में विभिन्न व्यवसाय वाले लोगों की संख्या एक आवासीय क्षेत्र में दर्शाई गई है।

दो गुण वाली सारणी (Double Table) :

एक ही प्रकार के दो विभिन्न गुणों का प्रदर्शन करने वाले आँकड़ों को इस सारणी के अंतर्गत रखा जाता है। उपरोक्त उदाहरण में विभिन्न व्यवसाय में लोगों की संख्या दी गई है, किंतु यदि इसमें पुरुष एवं महिलाओं की संख्या दर्शानी हो तो हमें दो गुणों वाली सारणी का प्रयोग करना होगा।

त्रिगुण सारणी (Treble Table) :

त्रिगुण सारणी में तीन प्रकार की विशेषताओं को दर्शाया जाता है। उपरोक्त सारणी में विभिन्न व्यवसाय में लगे लोगों की संख्या तथा उनमें भी पुरुषों तथा महिलाओं की अलग-अलग संख्या का पता चलता है। किंतु, यदि यह पूछा जाए कि कितने व्यक्तियों को सरकारी आवास की सुविधा प्राप्त है तथा कितनों को नहीं, तो हमें त्रिगुण सारणी का प्रयोग करना होगा।

Previous Post Next Post