हिन्दी की रचनाएँ ,रचनाकार ,प्रमुख पत्र-पत्रिकाएं, संपादक,हिन्दी की संस्थाएं एवं स्थापना वर्ष ,Hindi compositions, authors, major magazines, editors, Hindi institutions and establishment year


प्रसिद्ध रचना और रचनाकार
प्रसिद्ध पंक्तियाँ एवं उनके रचनाकार
प्रमुख पत्र-पत्रिकाएं
हिन्दी समाचार पत्र
हिन्दी की प्रमुख संस्थाएं एवं स्थापना वर्ष
प्रसिद्ध रचना और रचनाकार
रचनाकार रचना
मुंशी प्रेमचन्द (धनपत राय) वरदान, प्रतिज्ञा, सेवासदन, निर्मला, रंगभूमि, 'गबन, कर्मभूमि, गोदान,सोजेवतन, बड़े घर की बेटी, कफ़न, प्रेम पचीसी, पंच परमेश्वर
फरणीश्वरनाथ रेणु मैला आँचल, परती परिकथा, तीसरी कसम, ठुमरी, रसप्रिया
भगवती चरण वर्मा चित्रलेखा, सबहिं नचावत राम गुसाईं, टेढ़े-मेढ़े रास्ते, आख़िरी दाँव
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति, प्रेम जोगिनी, सत्य हरिश्चन्द्र, भारत दुर्दशा, भारत जननी, नील देवी, अँधेर नगरी
भीष्म साहनी चीफ की दावत, तमस, कड़ियाँ
नागार्जुन ( वैद्यनाथ मिश्र ) अकाल और उसके बाद, बहुत दिनों के बाद, शासन की बन्दूक, आओ रानी हम ढोएँगे पालकी, पुरानी जूतियों का कोरस; रतिनाथ की चाची, बाबा बटेसरनाथ, वरुण के बेटे
निर्मल वर्मा दहलीज, कुत्ते की मौत, एक दिन का महेमान
विद्यापति दुर्गभक्ति तरंगिणी, कीर्त्तिलता, कीर्त्तिपतका, पदावली
विष्णु प्रभाकर आवारा मसीहा, समाधि, प्रकाश और परछाईं, पाप का घड़ा, मोतियों की खेती
वृन्दावनलाल वर्मा झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई, मृगनयनी, अहिल्याबाई, राखी की लाज, नीलकण्ठ
श्रीलाल शुक्ल अंगद का पाँव, अज्ञातवास, रागदरबारी
सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्थायन "अज्ञेय" आँगन के पार द्वार, शेखर : एक जीवनी, नदी के द्वीप, अपने-अपने अजनबी, शरणार्थी
चन्द्र बरदाई पृथ्वीराज रासो (हिन्दी का प्रथम विस्तृत महाकाव्य)
जयशंकर प्रसाद कामायनी, विशाखदत्त, अजातशत्रु, स्कन्दगुप्त, चन्द्रगुप्त, ध्रुवस्वामिनी, कंकाल, तितली
जैनेन्द्र कुमार सुनीता, त्यागपत्र, मुक्तिबोध
गोस्वामी तुलसीदास रामचरितमानस, पार्वती मंगल, जानकी मंगल, गीतावली, भरत मिलाप, हनुमान चालीसा
देवकीनन्दन खत्री कुसुमकुमारी, भूतनाथ, चन्द्रकान्ता सन्तति
धर्मवीर भारती गुनाहों का देवता, अन्धा युग, सूरज का सातवां घोड़ा
कमलेश्वर पीला गुलाब, कितने पाकिस्तान, डाक बंगला
गजानन माधव “मुक्तिबोध' चाँद का मुँह टेढ़ा है, अंधेरे में, काठ का सपना
अब्दुल रहीम खानखानाँ श्रृंगार सतसई, मदनाष्टक, राम पंचाध्यायी, रहीम रत्नावली
अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' प्रेमप्रपंच, ऋतुमुकुर, रसकलश, प्रिय प्रवास, बाल विलास, कल्पलता
सुमित्रानन्दन पन्त पल्‍लव, वीणा, युगवाणी, रश्मिबन्ध
सूर्यकान्त त्रिपाठी “निराला" अनामिका, राम की शक्ति पूजा, कुकुरमुत्ता, नये पत्ते, सरोज-स्मृति, कुल्ली भाट
मनोहर श्याम जोशी कुरु कुरु स्वाहा, कपस, मुंगेरीलाल के हसीन सपने
मलिक मुहम्मद जायसी आख़िरी कलाम, पद्मावत
महादेवी वर्मा सान्ध्यगीत, यामा, दीपशिखा, स्मृति की रेखाएं, पथ के साथी, श्रृंखला की कड़ियाँ
माखनलाल चतुर्वेदी माता हिमकिरीटिनी, हिमतरंगिनी, समर्पण
मैथिलीशरण गुप्त रंग में भंग, जयद्रथ-वध, भारत-भारती, पंचवटी, गुरुकुल साकेत, यशोधरा, काबा और कर्बला, जयभारत, राजा-प्रजा, प्लासी का युद्ध
मोहन राकेश आसाढ़ का एक दिन, लहरों के राजहंस, आधे-अधूरे
यशपाल झूठा सच, दादा कामरेड, देशद्रोही, दिव्या, फूलों का कुर्ता
रामधारी सिंह “दिनकर” प्रणभंग, हुंकार, रसवन्ती, कुरुक्षेत्र, बापू, रश्मिरथी, नीलकुसुम, उर्वशी, परशुराम की प्रतीक्षा, नीम के पत्ते, संस्कृति के चार अध्याय, राष्ट्रभाषा और राष्ट्रीय एकता, हारे को हरिनाम
रामवृक्ष बेनीपुरी गेहूँ बनाम गुलाब, माटी की मूरतें, लाल तारा, मील के पत्थर
राहुल सांकृत्यायन विस्मृत यात्रा, मधुर स्वप्न
प्रसिद्ध पंक्तियां एवं उनके रचनाकार
रचनाकार पंक्तियाँ
जगनिक बारह बरस लौं कूकर जीवै अरु तेरह लॉं जिये सियार,
बरस अठारह क्षत्रिय जीवे आगे जीवन को धिक्कार।
अमीर खुसरो काहे को बियाहे परदेस सुन बाबुल मोरे (गीत)

बहुत कठिन है डगर पनघट की (कव्वाली)

एक थाल मोती से भरा, सबके सिर पर औंधा धरा।
चारो ओर वह थाल फिरे, मोती उससे एक न गिरे।।(पहेली)

नित मेरे घर आवत है रात गये फिर जावत है
फंसत अमावस गोरी के फंदा हे सखि साजन, ना सखि, चंदा (मुकरी/कह मुकरनी)
कबीर गुरु गोविंद दोऊ खडे काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपने जिन गोविंग दियो बताय॥

पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ पंडित भया न कोई।
ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होई॥

जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान।
मोल करो तलवार का, पड़ा रहने दो म्यान॥

मुझको क्या तू ढूंढे बंदे, मैं तो तेरे पास रे।
तुलसीदास सिया राममय सब जग जानी, करऊं प्रणाम जोरि जुग पानि।
जब जब होई धरम की हानी। बढ़हिं असुर अधक अभिमानी।

तब तब धरि प्रभु मनुज सरीरा।
हरहिं सकल सज्जन भवपीरा॥

कत विधि सृजी नारी जग माहीं।
पराधीन सपनेहु सुख नाहीं॥

बड़ा भाग मानुष तन पावा।
सुर दुर्लभ सब ग्रंथहिं गावा॥
मलूकदास अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम।
दास मलूका कह गए, सबके दाता राम॥
रामानंद जांति-पांति पूछे नहीं कोई, हरि को भजै सो हरि का होई।
मीराबाई अंसुवन जल सींचि-सींचि, प्रेम बेल बोई।
घायल की गत घायल जाने और न जानै कोई।

बसो मेरे नैनन में नंदलाल, मोहनि मूरत,
सांवरि सूरत, नैना बने रसाल।
भारतेन्दु रोवहू सब मिलि, आवहु भारत भाई।
हा! हा! भारत-दुर्दशा न देखी जाई॥

अंगरेज-राज सुख साज सजे सब भारी।
पै धन विदेश चलि जात इहै अति ख्यारी॥

भीतर-भीतर सब रस चूसै,
हंसि-हंसि के तन मन धन मूसे।

जाहिर बातन में अति तेज,
क्‍यों सखि सज्जन! नहीं अंगरेज॥

निज भाषा उन्‍नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिनु निज भाषा ज्ञान के, मिटत न हिय को शूल॥
मैथिली शरण गुप्त हम कौन थे, क्या हो गये हैं और क्या होंगे अभी,
आओ, विचारें आज मिलकर ये समस्याएं सभी।

अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी।
आंचल में हे दूध और आंखों में पानी॥

केवल मनोरंजन न कवि का कर्म होना चाहिए,
उसमें उचित उपदेश का भी मर्म होना चाहिए।

अधिकार खोकर बैठना यह महा दुष्कर्म है,
न्यायार्थ अपने बंधु को भी दंड देना धर्म है।

संदेश नहीं मैं यहां स्वर्ग को लाया,
इस धरती को ही स्वर्ग बनाने आया।
राम नरेश त्रिपाठी पराधीन रहकर अपना सुख शोक न कह सकता है।
यह अपमान जगत में केवल पशु ही सह सकता है॥
सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला मैने मैं शैली अपनाई देखा एक दुःखी निज भाई।
थन्ये, मैं पिता निरर्थक था कुछ भी तेरे हित न कर सका।

शेरो की मांद में आया है आज स्यार जागो फिर एक बार।

दिवसावसान का समय मेघमय आसमान से उतर रही है,
वह संध्या सुंदरी परी-सी धीरे-धीरे-धीरे।
जय शंकर प्रसाद रचनजो घनीभूत पीड़ा थी मस्तक में स्मृति-सी छाई,
दुर्दिन में आंसू बनकर वह आज बरसने आई।

जिए तो सदा उसी के लिए यही अभिमान रहे यह हर्ष,
निछावर कर दे हम सर्वस्व हमारा प्यारा भारतवर्ष।

अरुण यह मधुमय देश हमारा।
जहां पहुंच अनजान झितिज को मिलता एक सहारा।
महादेवी तोड़ दो यह झितिज, मैं भी देख लूं उस ओर क्या है ?
जा रहे जिस पंथ से युग कल्प, उसका छोर क्या है ?
सुमित्रानंदन पंत वियोगी होगा पहला कवि आह से उपजा होगा गान।
उमड़ कर आंखों से चुपचाप बही होगी कविता अनजान॥
नागार्जुन बापू के भी ताऊ निकले तीनों बंदर बापू के,
सरल सूत्र उलझाऊ निकले तीनों बंदर बापू के।

खेत हमारे, भूमि हमारी सारा देश हमारा है
इसलिए तो हमको इसका चप्पा-चप्पा प्यारा है।
राम विलास शर्मा झुका यूनियन जैक तिरंगा फिर ऊँचा लहराया
बांध तोड़ कर देखो कैसे जन समूह लहराया।
नरेश मेहता "जिंदगी, दो उंगलियों में दबी सस्ती सिगरेट के जलते हुए टुकड़े की तरह है जिसे कुछ लम्हों में पीकर गली में फेंक दूंगा।"
प्रमुख पत्र-पत्रिकाएं
पत्र-पत्रिकाएं विवरण
बंगाल गजट 1780, साप्ताहिक अंग्रेजी (संपादक : जेम्स आगस्टस हिकी) भारत का प्रथम समाचारपत्र
उदंत मार्तण्ड 30 मई, 1826, साप्ताहिक, कलकत्ता से प्रकाशित, संपादक : पं. जुगलकिशोर शुक्ल, (प्रथम हिन्दी पत्र)
बंगदूत 1829, साप्ताहिक, कलकत्ता, संपादक : राजा राममोहन राय
बनारस अखबार 1849, काशी से प्रकाशित, संपादक : राजा शिवप्रसाद “तिसारे हिन्द', हिन्दी प्रदेश से प्रकाशित हिन्दी समाचार पत्र
प्रजा हितैषी 1855, आगरा से प्रकाशित, संपादक : राजा लक्ष्मण्सिंह
कविवचन सुधा 15 अगस्त, 1867, मासिक पत्रिका संपादक : भारतेंदु हरिश्चन्द्र
हिन्दी प्रदीप 1877, मासिक, इलाहाबाद, संपादक : बालकृष्ण भट्ट
सरस्वती 1900, मासिक, इलाहाबाद (प्रारंभ में काशी से); संपादक : श्याम सुन्दर दास व चार अन्य (1900-03) , महावीर प्रसाद द्विवेदी (1903-20) , पं. देवीदत्त शुक्ल (1920-47)
प्रताप 1913, साप्ताहिक, कानपुर से प्रकाशित, संपादक ; गणेश शंकर विद्यार्थी
प्रभा 1913, मासिक, खण्डवा (कानपुर), संपादक : कालूराम, बालकृष्ण शर्मा “नवीन', माखनलाल चतुर्वेदी
मतवाला 1923, साप्ताहिक, कलकत्ता से प्रकाशित, संपादक : “निराला"
हंस 1930 , मासिक, बनारस, संपादक : प्रेमचंद
जागरण 1932, साप्ताहिक, बनारस, प्रेमचंद
धर्मयुग 1950, साप्ताहिक, बंबई, संपादक : धर्मवीर भारती
आलोचना 1951, त्रैमासिक, दिल्‍ली, संपादक : शिवदान सिंह चौहान, नामवर सिंह
पहल 1960, त्रैमासिक, जयपुर, संपादक : ज्ञानरंजन
दिनमान 1965, साप्ताहिक, दिल्ली, संपादक : रघुबीर सहाय
पूर्वग्रह 1974, मासिक, भोपाल, संपादक : अशोक बाजपेयी
हिन्दी की प्रमुख संस्थाएं एवं स्थापना वर्ष
हिन्दी की प्रमुख संस्थाएं स्थापना वर्ष एवं विवरण
फोर्ट विलियम कालेज, कलकत्ता 1801 ई.
नागरी प्रचारिणी सभा, काशी 1893 ई. (संस्थापक-श्याम सुंदर दास, राम नारायण मिश्र व शिव कुमार सिंह)
हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग 1910 ई. ((प्रथम सभापति-मदन मोहन मालवीय)
दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार संस्था, मद्रास 1915 ई. (संस्थापक-महात्मा गाँधी)
अखिल भारतीय संगीत परिषद 1919 ई.
प्रगतिशील लेखक संघ 1936 ई. (प्रथम अधिवेशन-लखनऊ, प्रथम सभापति-प्रेमचंद)
साहित्य अकादमी 1953 ई. (भारत सरकार द्वारा)
संगीत नाटक अकादमी 1953 ई. (भारत सरकार द्वारा)
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, नई दिल्‍ली 1959 ई.
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