Gahadwal dynasty or Gaharwar dynasty, History of Jaichand, गहड़वाल वंश अथवा गहरवार वंश, जयचंद का इतिहास

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गहड़वाल वंश

संस्थापक- यशोविग्रह

अन्य सम्बन्धित वंश-  ययाति, राष्ट्रकूट, कौशाम्वी के चन्द्र-वंशीय क्षत्रिय।

वंश का दूसरा नाम- गहरवार, गुहिलोत (गहलोत)।

संस्थापना स्थल- मिर्जापुर की पडड़ियों में।

गहड़वाल वंश के प्रमुख शासक राजा चन्द्रदेव (1080-1085 के मध्य)

राजा चन्द्रदेव के दौरान के उल्लेखनीय तथ्य-

👉 राष्ट्रकूटों से कन्नौज को मुक्त कर दौरान के अपनी राजधानी वाराणसी से कन्नौज को बनाया।

👉 राष्ट्रकूटवंशीय सामंत गोपाल को पराजित किया।

👉 सम्पूर्ण उत्तरप्रदेश पर आधिपत्य किया।

👉 गहड़वाल शासक चन्द्रदेव के विषय में चन्द्रावती अभिलेख में वर्णन मिलता है।

👉 वह काशी, कन्नौज, अयोध्या, इन्द्रप्रस्थ जैसे धार्मिक स्थलों का संरक्षक था।

👉 राजा चन्द्रदेव शांति व्यवस्था का संरक्षक था।

गहड़वाल वंश का दूसरा शासक मदनपाल (1104-1114 ई.)

मदनपाल द्वारा संपादित कृत्य एवं उल्लेखनीय तथ्य-

👉 बसही एवं सारनाथ अभिलेखों में वर्णन मिलता है।

👉 तुर्कों के साथ संघर्ष, लेकिन तुर्कों ने उसे बन्दी बना लिया था।

👉 मदनपाल सर्वाधिक निर्वल शासक था।

👉 मदनपाल का पुत्र गोविन्दचन्द्र (1114-1154) गहड़वाल वंश का अग्रिम शासक था।

गोविन्दचन्द्र का शासनकाल (1114-1154ई.)

👉 गोविन्द चन्द्र सर्वाधिक शक्तिशाली शासक सिद्ध हुआ। मगध, मालवा, उड़ीसा, कलिंग, कश्मीर, गुजरात पर आचिपत्य स्थापित किया।

👉 उसने चौल राजाओं से मित्रता की।

👉 तुर्की आक्रमणकारियों को सिन्‍ध पर आने से रोका।

👉 उसके सन्धिविग्रहिक लक्ष्मीधर ने कृत्य-कल्पतरू' की रचना इसी काल में की थी।

👉 रानी कुमारदेवी के सारनाथ अभिलेख में बनारसवासियों को तुर्की आततावियों से बचाने के कारण उसे “हरि का अवतार' कहा गया है।

विजयचन्द्र (1154 से 1170 ई.)

👉 मगघ पर विजय प्राप्त की तथा चौहान शासक विसलदेव द्वारा पराजित हुआ।

👉 इस दौरान दिल्ली का प्रदेश गहड़वालों के हाथों से निकलकर चौहान शासकों के पास चला गया।

👉 इसका उत्तराधिकारी शासक जयचन्द्र था। 

जयचन्द्र का शासनकाल

👉 गहड़वाल वंश का अन्तिम महान शासक था।

👉 दिल्‍ली के अजमेर के चौहानों के साथ उसकी शत्रुता थी।

👉 जयचन्द्र के निमन्त्रण पर मुहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज पर आक्रमण किया था एवं इसी के फलस्वरूप तराईन के

युद्ध में उसकी हार हुई थी।

👉 1194 ई. में चन्दावर के युद्ध में जयचन्द्र पराजित होकर मारा गया था।

👉 नैषधीयचरितम्‌ के रचनाकार कवि श्रीहर्ष जयचन्द के दरबारी कवि थे। खण्डनखद्य उनका ही ग्रन्थ था।

👉 आख्यानों के अनुसार जयचंद्र की पुत्री संयोगिता का अपहरण पृथ्वीराज तृतीय ने किया था।

👉 देवगिरी के यादवों, गुजरात के सोलकिंयों एवं तुर्कों के हराने पर विजय की खुशी में उसने राजसूय यज्ञ किया था।

👉  1225 ई. में इल्तुतमिश ने तुर्की सत्ता की स्थापना कर गहड़वाल वंश का अन्त कर दिया था।

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