लोकसभा क्या है, What is lok sabha

लोकसभा

लोकसभा भारतीय संसद का निचला सदन है।  

 लोक सभा प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों से गठित होती है।

 सदन में सदस्यों की अधिकतम संख्या 552 तक हो सकती है।

 530 सदस्य राज्यों से  और 20 सदस्य केन्द्र शासित प्रदेशों से एवं 2 अतिरिक्त सदस्यों को मनोनीत आंग्ल-भारतीय समुदाय से होते हैं। 

 2 मनोनीत सदस्यों को 104वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2019 द्वारा, जनवरी 2020 में समाप्त कर दिया गया था। 

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सीटों की संख्या

भारत के संविधान द्वारा आवंटित सदन की अधिकतम सदस्यता 552 है (शुरुआत में, 1950 में, यह 500 थी)। वर्तमान में, सदन में 543 सीटें हैं जो अधिकतम 543 निर्वाचित सदस्यों के चुनाव से बनती हैं।

लोक सभा की सीटें निम्नानुसार 28 राज्यों और 8 केन्द्र शासित प्रदेशों के बीच विभाजित है: -

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कार्यकाल

 लोक सभा का कार्यकाल यदि समय से पहले भंग ना किया जाये तो 5 वर्ष होता है।
 लोक सभा के कार्यकाल आपातकाल स्थिति में अधिकतम एक वर्ष तक बढ़ाने का अधिकार है।
 आपातकाल समाप्त होने पर छ: महीने से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता।

शक्तियाँ

 मंत्री परिषद केवल लोकसभा के प्रति उत्तरदायी है। अविश्वास प्रस्ताव सरकार के विरूद्ध केवल यहीं लाया जा  सकता है।
 धन बिल पारित करने मे यह निर्णायक सदन है।
 राष्ट्रीय आपातकाल को जारी रखने वाला प्रस्ताव केवल लोकसभा मे लाया और पास किया जायेगा।

पदाधिकारी

 लोकसभा अध्यक्ष (स्पीकर)
 कार्यवाहक अध्यक्ष (प्रोटेम स्पीकर)
 उपाध्यक्ष

लोकसभा के सत्र

1. बजट सत्र

 वर्ष का पहला सत्र होता है।
 सामान्यत फरवरी मई के मध्य चलता है।
 यह सबसे लंबा तथा महत्वपूर्ण सत्र माना जाता है।
 इसी सत्र मे बजट प्रस्तावित तथा पारित होता है।
 सत्र के प्रांरभ मे राष्ट्रपति का अभिभाषण होता है। 

2. मानसून सत्र

 जुलाई अगस्त के मध्य होता है। 

3. शरद सत्र

 नवम्बर-दिसम्बर के मध्य होता है।
 सबसे कम समयावधि का सत्र होता है।

विशेष सत्र – इस के दो भेद हैं -

 संसद के विशेष सत्र.
 लोकसभा के विशेष सत्र

संसद के विशेष सत्र- प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति इनका आयोजन करता है।

लोकसभा का विशेष सत्र – अनुच्छेद 352 मे इसका वर्णन है नोटिस देने के 14 दिन के भीतर सत्र बुलाया जाता है।

सत्रावसान – मंत्रिपरिषद की सलाह पर सदन का सत्रावसान राष्ट्रपति करता है।

स्थगन

यह दो प्रकार का होता है।

 अनिश्चित कालीन
 निश्चित कालीन (आगामी सभा के लिये तिथि घोषित कर दी जाती है)

लोकसभा का विघटन

 इससे लोकसभा का जीवन समाप्त हो जाता है। 
 लोकसभा विघटन के बाद आमचुनाव होते हैं।

प्रक्रिया बिल/विधेयक

यह कुल 4 प्रकार होते हैं । 

1-सामान्य बिल 2- धन बिल 3- फायनेसियल बिल, 4- संविधान संशोधन विधेयक

सामान्य बिल

इसकी 6 विशेषताएँ हैं। -

 परिभाषित हो
 राष्ट्रपति की अनुमति हो
 बिल कहाँ प्रस्तावित हो
 सदन की विशेष शक्तियॉ मे आता हो
 कितना बहुमत चाहिए
 गतिवरोध पैदा होना। 

धन बिल

विधेयक जो पूर्णतः एक या अधिक मामलों जिनका वर्णन अनुच्छेद 110 में किया गया हो से जुडा हो धन विधेयक कहलाता है।- 

 किसी कर को लगाना, हटाना, नियमन
 भारत सरकार द्वारा धन उधार लेना या कोई वित्तीय जिम्मेदारी।
 भारत की आपात/संचित निधि से धन की निकासी/जमा करना।
 संचित निधि की धन मात्रा का निर्धारण।
 ऐसे व्यय जिन्हें भारत की संचित निधि पे भारित घोषित करना हो।
 संचित निधि मे धन निकालने की स्वीकृति लेना।
 ऐसा कोई मामला लेना जो इस सबसे भिन्न हो।

फाइनेंसियल बिल

 वह विधेयक जो एक या अधिक मनीबिल प्रावधानों से पृथक हो तथा गैर मनी मामलों से भी संबधित हो।
 एक फाइनेंस विधेयक मे धन प्रावधानों के साथ साथ सामान्य विधायन से जुडे मामले भी होते है।
 इस प्रकार के विधेयक को पारित करने की शक्ति दोनो सदनों मे समान होती है। 

संविधान संशोधन विधेयक

अनुच्छेद 368 के अंतर्गत प्रस्तावित बिल जो कि संविधान के एक या अधिक प्रस्तावों को संशोधित करना चाहता है संशोधन बिल कहलाता है यह किसी भी संसद सदन मे बिना राष्ट्रपति की स्वीकृति के लाया जा सकता है इस विधेयक को सदन द्वारा कुल उपस्थित सदस्यों की 2/3 संख्या तथा सदन के कुल बहुमत द्वारा ही पास किया जायेगा दूसरा सदन भी इसे इसी प्रकार पारित करेगा। 

अध्यादेश

 अनुच्छेद123 राष्ट्रपति को अध्यादेश जारी करने की शक्ति देता है।
 यह तब जारी होगा जब राष्ट्रपति संतुष्ट हो जाये कि परिस्थितियाँ ऐसी हो कि तुरंत कार्यवाही करने की जरूरत है।
 यदि संसद किसी भी सदन सत्र मे नही है तो वह अध्यादेश जारी कर सकता है। 

संसद मे राष्ट्रपति का अभिभाषण

 यह सदैव मंत्रिपरिषद तैयार करती है। 
 यह सरकारी नीतियों की घोषणा होती है। 
 सत्र के अंत मे इस पर धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया जाता है। 
 यदि लोकसभा मे यह प्रस्ताव पारित नही हो पाता है तो यह सरकार की नीतिगत पराजय मानी जाती है तथा सरकार को तुरंत अपना बहुमत सिद्ध करना पडता है। 
 संसद के प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र मे तथा लोकसभा चुनाव के तुरंत पश्चात दोनों सदनों की सम्मिलित बैठक को राष्ट्रपति संबोधित करता है।

वित्त व्यवस्था

 अनुच्छेद 265 के अनुसार कोई भी कर कार्यपालिका द्वारा बिना विधि के अधिकार के न तो आरोपित किया जायेगा और न ही वसूला जायेगा। 
 अनुच्छेद 266 के अनुसार भारत की समेकित निधि से कोई धन व्यय /जमा भारित करने से पूर्व संसद की स्वीकृति जरूरी है।
 अनुच्छेद 112 के अनुसार राष्ट्रपति भारत सरकार के वार्षिक वित्तीय लेखा को संसद के सामने रखेगा यह वित्तीय लेखा ही बजट है। 

बजट

 बजट सरकार की आय व्यय का विवरण पत्र है।
 अनुमानित आय व्यय जो कि भारत सरकार ने भावी वर्ष मे करना हो।
 यह भावी वर्ष के व्यय के लिये राजस्व उगाहने का वर्णन करता है।
 बजट मे पिछले वर्ष के वास्तविक आय व्यय का विवरण होता है।
 बजट सामान्यत वित्तमंत्री द्वारा सामान्यतः फरवरी के पहले दिन लोकसभा मे प्रस्तुत किया जाता है उसी समय राज्यसभा मे भी बजट के कागजात रखे जाते है यह एक धन बिल है।

बजट में सामान्यतः-

 पिछले वर्ष के वास्तविक अनुमान,
 वर्तमान वर्ष के संशोधित अनुमान,
 आगामी वर्ष के प्रस्तावित अनुमान

प्रस्तुत किए जाते है। अतः बजट का संबंध 3 वर्ष के आकडो़ से होता है।

कटौती प्रस्ताव

केवल लोकसभा मे प्रस्तुत किया जाता है ये वे उपकरण है जो लोकसभा सदस्य कार्यपालिका पे नियंत्रण हेतु उपयोग लाते है ये अनुदानों मे कटौती कर सकते है इसके तीन प्रकार हैं। 

1.नीति सबंधी कटौती- इस प्रस्ताव का ल्क्ष्य लेखानुदान संबंधित नीति की अस्वीकृति है यह इस रूप मे होती है मांग को कम कर मात्र 1 रुपया किया जाता है यदि इस प्रस्ताव को पारित कर दिया जाये तो यह सरकार की नीति संबंधी पराजय मानी जाती है उसे तुरंत अपना विश्वास सिद्ध करना होता है। 

2. किफायती कटौती- भारत सरकार के व्यय को उससीमा तक कम कर देती है जो संसद के मतानुसार किफायती होगी यह कटौती सरकार की नीतिगत पराजय नहीं मानी जाती है। 

3. सांकेतिक कटौती- इन कटौतीयों का ल्क्ष्य संसद सदस्यों की विशेष शिकायतें जो भारत सरकार से संबंधित है को निपटाने हेतु प्रयोग होती है जिसके अंतर्गत मांगे गये धन से मात्र 100 रु की कटौती की जाती है यह कटौती भी नीतिगत पराजय नही मानी जाती है। 

लेखानुदान (वोट ओन अकाउंट)

अनुच्छेद 116 इस प्रावधान का वर्णन करता है इसके अनुसार लोकसभा वोट ओन अकाउंट नामक तात्कालिक उपाय प्रयोग लाती है इस उपाय द्वारा वह भारत सरकार को भावी वित्तीय वर्ष मे भी तब तक व्यय करने की छूट देती है जब तक बजट पारित नही हो जाता है यह सामान्यत बजट का अंग होता है किंतु यदि मंत्रिपरिषद इसे ही पारित करवाना चाहे तो यही अंतरिम बजट बन जाता है।

वोट ओन क्रेडिट

यह लोकसभा द्वारा पारित खाली चैक माना जा सकता है आज तक इसे प्रयोग नही किया जा सका है यह किसी ऐसे व्यय के लिये धन दे सकती है जिसका वर्णन किसी पैमाने या किसी सेवा मद मे रखना संभव ना हो।

जिलेटीन प्रयोग

समय अभाव के चलते लोकसभा सभी मंत्रालयों के व्यय अनुदानों को एक मुश्त पास कर देती है उस पर कोई चर्चा नही करती है यही जिलेटीन प्रयोग है यह संसद के वित्तीय नियंत्रण की दुर्बलता दिखाता है। 

प्रस्ताव

अविश्वास प्रस्ताव - इसे लाने हेतु लोकसभा के 50 सदस्यों का समर्थन जरूरी है यह सरकार के विरूद्ध लगाये जाने वाले आरोपों का वर्णन नही करता है केवल यह बताता है कि सदन मंत्रिपरिषद में विश्वास नही करता है संसद के एक सत्र मे एक से अधिक अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाये जा सकते हैं। 

विश्वास प्रस्ताव यह आवश्यक्तानुसार उत्पन्न हुआ है ताकि मंत्रिपरिषद अपनी सत्ता सिद्ध कर सके यह सदैव मंत्रिपरिषद लाती है इसके गिरजाने पर उसे त्याग पत्र देना पडता है।

निंदा प्रस्ताव - लोकसभा मे विपक्ष यह प्रस्ताव लाकर सरकार की किसी विशेष नीति का विरोध/निंदा करता है।

काम रोको प्रस्ताव- सदन की समस्त कार्यवाही रोक कर तात्कालीन जन महत्व के किसी एक मुद्दे को उठाया जाता है।

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