योनि (Vagina)
मादा के जननांग को योनि कहा जाता है। सामान्य तौर पर "योनि" शब्द का प्रयोग अक्सर भग के लिये किया जाता है, लेकिन जहाँ भग बाहर से दिखाई देने वाली संरचना है वहीं योनि एक विशिष्ट आन्तरिक संरचना है। योनि बहुत संवेदनशील होती है।
योनि का बाहरी दिखाई देने वाला हिस्सा भग कहलाता है।
यह दोनों जाँघो के बीच योनि का प्रवेश-द्वार है।
व्यस्क स्त्रियों में यह चारो और से बालों से घिरा होता है।
यह त्वचा की कई परतों से बनी होती है, जो भीतरी अंगों को सुरक्षा प्रदान करती है।
यह कई उपांगों को समाविष्ट किय हुए हैं जैसे भगशिशिनका, मूत्रमार्ग का छिद्र, योनि की झिल्ली (हाइमेन), लघु ग्रंथियां, वृहत भगोष्ठ, लघुभगोष्ठ इत्यादि।
यह गर्भाशय से योनि प्रघाण तक फैली हुई लगभग 8 से 10 सेमीमीटर लम्बी नली होती है जो मूत्राशय एवं मूत्रमार्ग के पीछे तथा मलाशय एवं गुदामार्ग के सामने स्थित होती है।
एक वयस्क स्त्री में योनि की पिछली भित्ति उसकी अगली भित्ति से ज्यादा लम्बी होती है और योनि गर्भाशय के साथ समकोण बनाती है।
योनि के भाग
1 - क्लिटोरल हुड,
2 - भगशेफ (क्लिटोरिस),
3 - मूत्रमार्ग का छिद्र,
4 - योनिद्वार,
5 - भगोष्ठ, 6 - गुदा
क्लिटोरल हुड (clitoral hood)
क्लिटोरल हुड त्वचा की एक तह है जो भगशेफ की ग्रंथियों को घेरती है और उनकी रक्षा करती है, यह भगशेफ के बाहरी शाफ्ट को भी कवर करती है, लेबिया मिनोरा के हिस्से के रूप में विकसित होती है और पुरुष जननांगों में चमड़ी के साथ समरूप होती है। क्लिटोरल हुड म्यूकोक्यूटेनियस ऊतकों से बना होता है, ये ऊतक म्यूकोसा और त्वचा के बीच होते हैं।
भगशेफ (clitoris)
भगशिश्निका अथवा भगशेफ (clitoris) एक कामेन्द्रिय (सेक्स ऑर्गन) है जो स्त्रियों तथा स्तनधारियों, शुतुर्मुर्ग एवं कुछ अन्य जन्तुओं की मादाओं में पाया जाता है। यह दिखने,छूने और महसूस करने में यह कुछ-कुछ पुरुष शिश्न मुंड की तरह हल्के गुलाबी रंग का होता है जिस तरह पुरुष का शिश्न मुंड होता है इसके ऊपर भी पुरुषों के लिंग की तरह पतली लचीलीदार त्वचा इसको ढ़ांके रखती हैं और उत्तेजित होने पर साफ दिखाई पड़ती है कुछ मामलों में बिना उत्तेजना के भी देखी जा सकती है, इसी में भारी संवेदनशीलता,प्यार भरी गुदगुदी और उत्तेजना समाहित होती है।
मूत्रमार्ग का छिद्र (urethra)
मूत्रमार्ग (urethra) शरीर में स्थित एक नलिका है जो मूत्राशय और मूत्रद्वार (urinary
meatus) को जोड़ती है और इसी से होकर शरीर से मूत्र बाहर (पुरुष और
स्त्री दोनों में) निकलता है। स्त्रियों में तथा कुछ अन्य प्राइमेट्स में
मूत्रमार्ग, योनि के ऊपर स्थित मूत्रद्वार में खुलती है।
योनिद्वार (hymen)
योनिद्वार अथवा योनिच्छद (hymen) उस झिल्ली को कहते हैं जो योनिद्वार के बाहरी प्रवेशद्वार को अम्शतः या
अधिकांशतः ढके रहती है। यह भग (vulva) का भाग है और इसकी
संरचना योनि जैसी ही होती है।
भगोष्ठ (labia majora)
भगोष्ठ अथवा लेबिया आपकी योनि के मुख के आसपास की त्वचा की सिलवटें हैं। लेबिया (बाहरी होंठ) आमतौर पर मांसल होते हैं और जघन बालों से ढके होते हैं। लेबिया मिनोरा (आंतरिक होंठ) आपके बाहरी होंठों के अंदर होते हैं। वे आपके भगशेफ से शुरू होते हैं और आपकी योनि के मुख के नीचे समाप्त होते हैं। लेबिया छोटी या लंबी, झुर्रीदार या चिकनी हो सकती है।
गुदा (anus)
गुदा शरीर का ही एक भाग है जो कसा हुआ होता है गुदा का मुख्य कार्य मल त्याग करना है
योनि एक बहुत ही संवेदनशील अंग है जो विभिन प्रकार की पेशियों और ऊतको से मिल कर योनि भित्तियों का निर्माण होता है। -
योनि की भित्तियाँ
योनि की भित्तियाँ मुख्यतः चिकनी पेशी एवं फाइब्रोइलास्टिक संयोजी ऊतक की बनी होती है
इनमें फैलने का गुण बहुत अधिक होता है
इनमें रक्त वाहिनियों एवं तन्त्रिकाओं की आपूर्ति होती है।
सामान्य अवस्था में योनि की भित्तियाँ आपस में चिपकी रहती है
संभोग क्रिया के दौरान लिंग के योनि में प्रविष्ट होने पर वे अलग-अलग हो जाती है।
गर्भाशय ग्रीवा (cervix)
के योनि में उभर आने से इसके आगे, पीछे तथा
पार्श्वों में चार खाली स्थान बनते हैं जिन्हें फॉर्निसेस (fornices) कहा जाता है।
योनि की भित्ति दो परतों से मिलकर बनी होती
है-
(1) पेशीय परत (Muscular layer)- इस परत में चिकनी पेशी के लम्बवत् एवं गोलाकार तन्तु तथा तन्तुमय लचीले संयोजी ऊतक रहते हैं। इसी कारण से योनि में बहुत ज्यादा फैलने और सिकुड़ने का गुण पैदा होता है।
(2) श्लेष्मिक परत (Mucous layer)- यह श्लेष्मिक कला की आतंरिक परत होती है जो पेशीय परत को आस्तरित करती है। इस परत में बहुत सी झुर्रियाँ (rugae) रहती है। यह परत स्तरित शल्की उपकला (stratified squamous epithelium) अर्थात् परिवर्तित त्वचा, (इसमें बाल नहीं होते) (nonkeratinizing), से आच्छादित (ढकी) रहती है। यौवनारम्भ के बाद यह परत मोटी हो जाती है और ग्लाइकोजन से परिपूरित रहती है। इसमें ग्रन्थियाँ नहीं होती है।
योनि में पायी जाने वाली श्रावण ग्रंथियां -
योनि को चिकना बनाये रखने के लिए श्लेष्मा
स्राव गर्भाशय ग्रीवा में मौजूद ग्रन्थियों से ही आता है। यह स्राव क्षारीय होता
है लेकिन योनि में प्राकृत रूप से पाये जाने वाले बैक्टीरिया (डोडर्लिन बेसिलाइ)
श्लेष्मिक परत में मौजूद ग्लाइकोजन को लैक्टिक एसिड में बदल देते हैं,
जिससे योनि के स्राव की प्रतिक्रिया अम्लीय हो जाती है। इससे योनि
में किसी भी तरह का संक्रमण होने की संभावना समाप्त हो जाती है।
यौन उत्तेजना (Sexual Stimulation)
यौन उत्तेजना किसी भी उत्तेजना (शारीरिक संपर्क
सहित) है जो यौन उत्तेजना की ओर ले जाती है, बढ़ाती है
और बनाए रखती है, और संभोग का कारण बन सकती है। यद्यपि यौन
उत्तेजना शारीरिक उत्तेजना के बिना उत्पन्न हो सकती है, संभोग
सुख प्राप्त करने के लिए आमतौर पर शारीरिक यौन उत्तेजना की आवश्यकता होती है।
कामोत्तेजना यौन रूप से चालू होने की भावना
है। जब आप चालू होते हैं, तो आपका शरीर शारीरिक और
भावनात्मक परिवर्तनों का अनुभव करता है। आपका लिंग या भगशेफ सीधा (कठोर), उकेरा हुआ और संवेदनशील हो सकता है, और आप अपने योनि पर, या अपने लिंग की नोक पर गीलापन महसूस कर सकते
हैं।
आप अकेले या किसी साथी के साथ यौन उत्तेजना से, कल्पना करने या यौन विचार रखने, या कामुक सामग्री (जैसे पोर्न) पढ़ने, देखने या सुनने से उत्तेजित हो सकते हैं। उत्तेजना तब भी हो सकती है जब आपके शरीर के कुछ हिस्सों को छुआ जाता है जो बहुत संवेदनशील होते हैं (जिन्हें "इरोजेनस ज़ोन" भी कहा जाता है)। लेकिन हर कोई स्पर्श से यौन उत्तेजना महसूस नहीं करता है।
उत्तेजित महसूस करने से कई शारीरिक प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं या बिल्कुल भी नहीं हो सकती हैं। आपके उत्तेजित होने पर आपके शरीर में होने वाले कुछ परिवर्तनों में शामिल हैं:-
👉आपका रक्तचाप, हृदय गति, श्वास और तापमान बढ़ जाता है।
👉आपके निप्पल, लेबिया और भगशेफ रक्त से भर जाते हैं और अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।
👉आपका लिंग सख्त हो जाता है और खड़ा हो जाता है।(इसे इरेक्शन प्राप्त करना भी कहा जाता है।)
👉आपकी योनि चिकनाई (गीली हो जाती है) और फैलती है।