सिंधु घाटी सभ्यता
सिंधु घाटी सभ्यता से संबन्धित महत्वपूर्ण बिंदु-
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सिंधु घाटी सभ्यता हड़प्पा
की सभ्यता से संबन्धित है।
· सिंधु घाटी सभ्यता आध एतिहासिक युग से संबद्ध है।
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हड़प्पा सभ्यता की जानकारी
का प्रमुख श्रोत पुरातात्विक साक्ष्य हैं।
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वृहद स्नानागार मोहन जोदड़ो
से प्राप्त हुआ।
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हड़प्पा सभ्यता में मिट्टी
के बर्तनों पर सामान्यतः लाल रंग का प्रयोग होता था।
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चाँदी की उपलब्धता का
प्राचीनतम साक्ष्य हड़प्पा से प्राप्त हुये।
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जुते हुये खेत कालीबंगा से
मिले।
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हड़प्पा सभ्यता का बंदरगाह
लोथल में अवस्थित था।
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भारत का सबसे बड़ा हड़प्पन
पुरास्थल राखीगढ़ी है।
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सिन्धु घाटी सभ्यता के लोग
मातृ शक्ति में विश्वास करते थे।
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सिन्धु घाटी सभ्यता के लोग
पशुपति की पूजा करते थे।
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सिन्धु घाटी सभ्यता की खोज
में चार्ल्स मैसेन, कनिंघम के अतिरिक्त राखलदास
बेनर्जी तथा दयाराम साहनी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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सर्वप्रथम मानव ने तांबा
धातु का उपयोग किया।
· सिंधु घाटी सभ्यता में बांध का साक्ष्य धौला बीरा से प्राप्त होता है।
सिंधु घाटी सभ्यता काल में मानव कृषि, पशु-पालन, धातु, अद्योग, व्यापार, राजनैतिक जीवन, धार्मिक जीवन एवं शिल्प कला आदि के प्रचलन एवं ज्ञान और विकास पर एक नजर।
कृषि
सिन्धु घाटी सभ्यता के लोग गेंहू,
जौ, राई, मटर, ज्वार आदि अनाज पैदा करते थे। वे दो किस्म की गेँहू पैदा करते थे। बनावली
में मिला जौ उन्नत किस्म का है। इसके अलावा वे तिल और सरसों भी उपजाते थे। सबसे
पहले कपास भी यहीं पैदा की गई।
पशु-पालन
यह लोग गाय, भैंस,
भेड़, बकरी, बैल,
कुत्ते, बिल्ली, मोर,
हाथी, शुअर, बकरी व
मुर्गियाँ पाला करते थे। इन लोगों को घोड़े और लोहे की जानकारी नहीं थी।
धातु
हड़पपा के लोग ताँबा खेतडी (राजस्थान) तथा
बलूचिस्तान से प्राप्त करते थे, व सोना कर्नाटक तथा
अफगानिस्तान से प्राप्त करते थे।
उद्योग
मिट्टी के बर्तन बनाने एवं मिट्टी के
बर्तनों पर काले रंग से भिन्न-भिन्न प्रकार के चित्र बनाये जाते थे। कपड़ा बनाने
का एवं जौहरी का काम भी उन्नत अवस्था में
था। मनके और ताबीज बनाने का कार्य भी लोकप्रिय था, अभी
तक लोहे की कोई वस्तु नहीं मिली है जिससे ज्ञात होता है कि इन्हें लोहे का ज्ञान
नहीं था।
व्यापार
यहाँ के लोग आपस में पत्थर,
धातु शल्क (हड्डी) आदि का व्यापार करते थे।
राजनैतिक जीवन
इसके पुख्ता प्रमाण नहीं मिले हैं लेकिन नगर
व्यवस्था को देखकर लगता है कि कोई नगर निगम जैसी स्थानीय स्वशासन वाली संस्था थी।
धार्मिक जीवन
सिन्धु घाटी सभ्यता के नगरों में एक सील
पाया जाता है जिसमें एक योगी का चित्र है 3 या 4 मुख वाला,
कई विद्वान मानते है कि यह योगी शिव है। मेवाड़ जो कभी सिन्धु घाटी
सभ्यता की सीमा में था वहाँ आज भी 4 मुख वाले शिव के अवतार एकलिंगनाथ जी की पूजा
होती है। सिंधु घाटी सभ्यता के लोग अपने शवों को जलाया करते थे, मोहन जोदड़ो और हड़प्पा जैसे नगरों की आबादी करीब 50 हज़ार थी पर फिर भी
वहाँ से केवल 100 के आसपास ही कब्रें मिली है जो इस बात की और इशारा करता है वे शव
जलाते थे। लोथल, कालीबंगा आदि जगहों पर हवन कुण्ड मिले है जो
की उनके वैदिक होने का प्रमाण है। यहाँ स्वास्तिक के चित्र भी मिले है।
कुछ विद्वान मानते है कि हिन्दू धर्म
द्रविडो का मूल धर्म था और शिव द्रविडो के देवता थे जिन्हें आर्यों ने अपना लिया।
शिल्प
प्राचीन मेसोपोटामिया की तरह यहाँ के लोगों ने भी लेखन कला का आविष्कार किया था। हड़प्पाई लिपि का पहला नमूना 1853 ई॰ में मिला था और 1923 में पूरी लिपि प्रकाश में आई परन्तु अब तक पढ़ी नहीं जा सकी है।
प्रमुख धातु एवं प्राप्ति स्थान
कच्चा माल प्राप्ति
स्थान
ताँबा खेतड़ी
(राजस्थान), बलूचिस्तान
लाजवर्द बद्ख्शां(अफगानिस्तान)
फिरोजा, टिन ईरान से
चाँदी जावर
एवं अजमेर (राजस्थान),
अफगानिस्तान, ईरान से
सीसा अफगानिस्तान
से
शिलाजीत हिमालय
से
गोमेद गुजरात से
सिंधु सभ्यता के प्रमुख स्थल एवं खोजकर्ता
प्रमुख स्थल खोजकर्ता वर्ष
हड़प्पा दयाराम साहनी 1921
मोहन जोदड़ो राखल दास बनर्जी 1922
रोपड़ यश दत्त शर्मा 1953-55
लोथल एस आर राव 1954-55
कालीबंगा बी बी लाल 1961-69
रंगपुर एम एस वत्स 1934-35
चन्हूदड़ो एन जी मजूमदार 1931
सुरकोटडा जगपति जोशी 1964
बनावली आर एस विष्ट 1974-77
आलमगीरपुर यश दत्त शर्मा 1958
कोटदीजी फजल अहमद खाँ 1957-58
सुत्कागेनडोर आरेल स्टाइन 1927
मांडा जे पी जोशी 1982
बालाकोट जार्ज एफ डेल्स 1973-76
धौलावीरा जगपति जोशी 1967-68
मिताथल सूरजभान 1968
राखी गढ़ी सूरजभान 1969
हड़प्पा कालीन नदियों के किनारे बसे नगर
नगर नदी
/सागर तट
हड़प्पा रावी नदी
मोहनजोदड़ो सिन्धु
नदी
रोपड़ सतलज नदी
कालीबंगा घग्गर
नदी
लोथल भोगवा
नदी
सुत्कागेडोर दास्क नदी
सोत्काकोह शादी
कौर नदी
आलमगीरपुर हिंडन
नदी
रंगपुर भादर
नदी
कोट दीजी सिन्धु
नदी
कुणाल (हरियाणा) सरस्वती नदी
चन्हूदड़ो सिन्धु नदी
बनावली सरस्वती नदी
मांडा चिनाब
नदी
भगवानपुरा सरस्वती नदी
दैमाबाद प्रवरा नदी
आमरी सिन्धु नदी
राखीगढ़ी घग्गर नदी