आधुनिक
एवं परमाणु भौतिकी(Modern
And Nuclear Physics)
परमाणु वह सूक्ष्मतम कण है,
जो रासायनिक क्रिया में भाग ले सकते हैं, परंतु
स्वतंत्र अवस्था में नहीं रह सकते। परमाणु मुख्यतः तीन मूल कणों इलेक्ट्रॉन,
प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन से मिलकर बना होता है
रेडियो सक्रियता (Radio Activity)
रेडियो सक्रियता की खोज फ्रेंच वैज्ञानिक
हेनरी बेकुरल, एम क्युरी ने तथा पी क्यूरी ने की। खोज
के लिए इन तीनों को संयुक्त रुप से नोबेल पुरस्कार मिला। जिन नाभिक में प्रोटॉन की
संख्या 83 या उससे अधिक होती है, वे अस्थायी होते हैं
स्थायित्व प्राप्त करने के लिए वह नाभिक स्वत:ही अल्फा, बीटा एवं गामा किरण उत्सर्जित करने लगते हैं. इन्हें रेडियो सक्रिय किरण कहते हैं।
रोबोट पियरे एवं उसकी पत्नी मैडम क्यूरी ने नए रेडियो सक्रिय तत्व रेडियम की खोज की।
नाभिकीय रिएक्टर (Nuclear Reactor)
नाभिकीय रिएक्टर एक ऐसी युक्ति है,
जो नाभिकीय विखंडन से प्राप्त ऊर्जा का उपयोग विद्युत ऊर्जा के
उत्पादन में करता है।रिएक्टर में ईंधन के रूप में यूरेनियम-235 या प्लूटोनियम-239
का प्रयोग किया जाता है। रिएक्टर में मंदक के रूप में भारी जल या ग्रेफाइट का
प्रयोग किया जाता है। रिएक्टर में नियंत्रक के रूप में कैडमियम या बोरोन छड का
उपयोग किया जाता है
परमाणु बम नाभिकीय विखंडन के सिद्धांत पर आधारित है, हाइड्रोजन बम नाभिकीय संलयन पर आधारित है। सूर्य एवं तारों से प्राप्त ऊष्मा ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत नाभिकीय संलयन अभिक्रिया ही है।
नाभिकीय रिएक्टर में अनेक प्रकार के समस्थानिक उत्पन्न किए जा सकते हैं। जिसका उपयोग चिकित्सा विज्ञान, कृषि आदि के क्षेत्र में किया जा सकता है।
कैथोड किरणें (Cathode Rays)
कैथोड किरणें केवल उच्च ऊर्जा वाले इलेक्ट्रॉन के पूंज हैं। कैथोड किरणों की खोज सर विलियम कुर्क ने की। यह सीधी रेखा में चलती है तथा स्फूरदीप्ती उत्पन्न करती है।कैथोड किरणें पतली धातु की चादर से पार निकल जाती है। यह किरण विद्युत एवं चुंबकीय क्षेत्र में विक्षेपित होती है।इन का वेग प्रकाश के वेग का 1/10 गुना होता है।
धन या कैनाल किरणें (Positive Rays or Canal Rays)
इन किरणों की खोज गोल्डस्टीन ने की थी। धन
किरण घन आवेशित कणों द्वारा बनी होती है, यह सीधी
रेखा में गति करती है तथा चुंबकीय विद्युत क्षेत्र में विक्षेपित हो जाती है। यह
गैसों को आयनीकृत कर देती है।
डायोड वाल्व का प्रयोग दिष्टकारी के रूप में होता है, अर्थात इस के दौरान प्रत्यावर्ती धारा को दिष्ट धारा में बदलते हैं।ट्रायोड वाल्व का प्रवर्तक दोलित्र प्रेशर एवं संसूचक की तरह प्रयोग करते हैं।
X- Rays
विद्युत चुम्बकीय विकिरण का एक रूप है। एक्स-रे
में उच्च ऊर्जा होती है और यह शरीर सहित अधिकांश वस्तुओं से गुजर सकती है। अधिकांश
एक्स-रे की तरंग दैर्ध्य 0.01nm से 10nm तक की सीमा में होती है। यह 100 KeV से eV ईवी तक की ऊर्जा सीमा से मेल खाती है। एक्स-रे की खोज 1895 में W.C. Rontgen ने की
X-किरणों के गुण (Properties of X-rays)
➤ X-किरण विद्युत चुंबकीय तरंगें होती है। इनकी तरंगदैध्र्य परास 0०1A,- 100A तक
होती है
➤ X- किरणें सीधी रेखा में चलती है
➤ X- किरणों की खोज रोन्टजैन की थी
➤ यह प्रवर्तन, अपवर्तन,
व्यक्तिकरण, विवर्तन, त्वरण
की घटनाओं को प्रदर्शित करती है
➤ यह किरणें विद्युत तथा चुंबकीय क्षेत्रों
में विक्षेपित नहीं होती है। अधिक समय तक पड़ने पर X-किरणें
मानव शरीर के लिए हानिकारक होती है
➤ X-किरणें प्रकाश विद्युत प्रभाव का
प्रदर्शन करती है
X- किरणों के उपयोग (Use of X-rays)
➤शल्य चिकित्सा क्षेत्र में X-किरणों का उपयोग मानव शरीर की टूटी हुई हड्डी, धंसी
हुई गोली, पथरी आदि का पता लगाने में किया जाता है
➤रेडियोग्राफी क्षेत्र में X-
किरणों द्वारा कुछ रोगों का उपचार किया जाता है। कैंसर में शरीर के
उस भाग पर है X- किरण डालने से रुग्ण सेल कोशिका नष्ट हो
जाती है
➤इंजीनियरिंग क्षेत्र में X-
किरणों का उपयोग भवन अथवा पुलों में लगे लोहे के शहतीरों के भीतर
उपस्थित दरार, वायु के बुलबुले आदि का पता लगाने में किया
जाता है
➤व्यवसाय क्षेत्र में X-किरणों का उपयोग वास्तविक व कुत्रिम हीरे में अंतर करने, सीप के मोती का पता लगाने आदि में किया जाता है। लेजर लेदर का अर्थ है
विकिरण के उद्दीप्त उत्सर्जन द्वारा प्रकाश का प्रवर्ध्दन