रासायनिक बंध
किसी अणु में परमाणुओं को बांधकर एक साथ रखने वाले बल को रासायनिक बंधन (Chemical bonding) कहते हैं जैसे हाइड्रोजन के दो परमाणु ऑक्सीजन की एक परमाणु के साथ रासायनिक बंध द्वारा जुड़कर जल का निर्माण करता है। रसायनिक बंधन की व्याख्या 1916 में Walther Kossel और Gilbert N. Lewis के द्वारा किया गया। Chemical Bond तीन प्रकार के होते होते हैं
1. विद्युत संयोजक बंध (Electrovalent bond)
दो परमाणुओं के मध्य इलेक्ट्रॉन की स्थांतरण से बने बंध को electrovalent bond कहते हैं। यह विद्युत संयोजक बंधन और ऋण आवेश से बने होते हैं, द्रवणांक और क्वथनांक उच्च होता है, विद्युत आकर्षण बल से जुड़े होते हैं, ठोस अवस्था में विद्युत का कुचालक होते हैं विद्युत संयोजक बंध दिशाहीन होते हैं, जल में घुलनशील होते हैं, परंतु कार्बनिक घोल में अघुलनशील होते हैं तथा बहुत ही तेजी से रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेते हैं।
2. सहसंयोजक बंध ( Covalent bond )
ऐसा रसायनिक बंधन जिनका निर्माण दो परमाणुओं के बीच इलेक्ट्रॉन के साझेदारी के कारण होता है उन्हें co-valent bond कहते हैं। जब दो परमाणुओं के बीच परमाणुओं के बीच विद्युत ऋनात्मकता क्या अंतर काफी कम या शून्य हो तो इस प्रकार के बंध का निर्माण होता है। जल अमोनिया तथा मीथेन के परमाणु सहसंयोजक बंध से जुड़े होते हैं, इन तीनों का यौगिक बंधन कोण 105°, 109° तथा 109.28° होता है।
सहसंयोजक बंध चार प्रकार के होते हैं–
सहसंयोजक बंध कमजोर बंध होने के कारण द्रवनांक और क्वथनांक निम्न होते हैं जल में अघुलनशील और कार्बनिक घोल में घुलनशील होते है। सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH) में विद्युत एवं सहसंयोजक बंध उपस्थित होते हैं।
3. उप सहसंयोजक बंध (Co-ordinate bond)
एक ही परमाणु द्वारा इलेक्ट्रॉन युग्म की साझेदारी से जो बंद बनता है उन्हें हम उपसहसंयोजक बंध कहते हैं।
जो परमाणु इलेक्ट्रॉन को देता है उन्हें हम दाता और जो ग्रहण करता है उन्हें ग्राही कहते हैं।
अक्रिय गैसें ऑर्गन, निऑन, रेडॉन और क्रिप्टन के परमाणु के बह्यतम कक्षा में इलेक्ट्रॉन की संख्या 8 होते है जबकि अपवाद स्वरुप हीलियम में सिर्फ 2 इलेक्ट्रॉन होते हैं। अक्रिय गैस की प्रवृत्ति अस्थाई होती है। रासायनिक अभिक्रिया में भाग नहीं लेते हैं और ना ही बंधन बनाते हैं।
कोई भी परमाणु अक्रिय गैस की इलेक्ट्रॉनिक विन्यास तीन प्रकार से प्राप्त कर सकता है– इलेक्ट्रॉन त्याग कर, इलेक्ट्रॉन को ग्रहण कर, इलेक्ट्रॉन को साझा कर
आयन (Ion)
परमाणु का समूह जिनमें आवेश हो आयन (ion) कहलाता है। आयन दो प्रकार के होते हैं।
1. धन आयन
धनायन में इलेक्ट्रॉन का त्याग त्याग तथा ऋण आयन में इलेक्ट्रॉन का ग्रहण होता है। धन आयन धातु से बने होते हैं, धनायन का आकार इनके परमाणु से छोटा होता है
2. ऋण आयन
ऋण आयन अधातु से बने होते हैं और इनका आकार परमाणु से बड़ा होता है। धातु तत्व के परमाणु को विद्युत धनात्मक तत्व और अधातु तत्व के परमाणुओं को विद्युत ऋणात्मक तत्व कहते हैं।