परमाणु की संरचना, क्वाण्टम संख्या कितने प्रकार की होती है


परमाणु संरचना

परमाणु, तत्व का वह सबसे छोटा कण है, जो किसी रासायनिक क्रिया में भाग ले सकता है लेकिन स्वतंत्र रूप से नहीं रह सकता है | द्रव, ठोस व गैस सभी पदार्थों का निर्माण परमाणुओं (Atoms) से ही होता है | परमाणु आपस में मिलकर अणुओं (Molecules) का निर्माण करते हैं | तत्व या यौगिक का वह सबसे छोटा कण है, जो स्वतंत्र अवस्था में रह सकता है अणु कहलाता है |

परमाणु ग्रीक भाषा का शब्द है जिसका मतलब होता है “जिसे तोडा न जा सके ” , क्योंकि जब परमाणु की खोज हुई थी तब इसे सबसे छोटा कण माना गया था और माना गया था की परमाणु को तोडा नहीं जा सकता अर्थात इसी से सब चीजो का निर्माण हुआ है , यह सबसे छोटी इकाई माना गया।

लेकिन बाद में जब इलेक्ट्रान , प्रोटोन और न्यूट्रॉन की खोज हुई तो पता चला की परमाणु भी अन्य कणों से मिलकर बना होता है और तो और प्रोटोन और न्यूट्रॉन भी क्वार्क और ग्लून्स से मिलकर बने होते है।

परमाणु की खोज

परमाणु की खोज जॉन डाल्टन ने 1803 में की थी और परमाणु को समझाने के लिए उन्होंने अपनी आण्विक सिद्धांत दिया जिसके बिंदु निम्न प्रकार है –

  • 1. प्रत्येक पदार्थ बहुत ही छोटे कणों से मिलकर बना होता है इन कणों को परमाणु कहते है।
  • 2. एक ही पदार्थ के सभी परमाणु आकार , भार , और अन्य गुणों में समान होते है लेकिन अलग अलग पदार्थो के परमाणुओं के गुण अलग अलग हो सकते है।
  • 3. परमाणु को न तोडा जा सकता है , न बनाया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है।
  • परमाणु क्रमांक व द्रव्यमान संख्या

    किसी तत्व के परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटानों की संख्या को परमाणु क्रमांक कहते हैं | किसी परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटानों और न्यूट्रानों की कुल संख्या को द्रव्यमान संख्या कहते हैं |

    समस्थानिक

    समान परमाणु क्रमांक परन्तु भिन्न परमाणु द्रव्यमानों के परमाणुओं को समस्थानिक (Isotopes) कहते हैं | समस्थानिकों में प्रोटानों की संख्या समान होती है लेकिन न्यूट्रानों की संख्या भिन्न होती है |

    समभारिक

    समान परमाणु द्रव्यमान परन्तु भिन्न परमाणु क्रमांकके परमाणुओं को समभारिक (Isobars) कहते हैं |

    मोल (चिह्न: mol) एक SI मूल इकाई है, जो पदार्थ की मात्रा मापन करता है। यह एक गण्य इकाई है। एक मोल में एवोगाद्रो संख्या के बराबर (लगभग 6.02214×1023) परमाणु, अणु, अन्य आरम्भिक कण होते हैं।[1] एक मोल पदार्थ का ग्राम में भार, उस पदार्थ के एक परमाणु/अणु के AMU में भार की संख्या के बराबर होता है। उदाहरण के लिये, 1 mol ऑक्सीजन (O2) अणु का भार लगभग 32 ग्राम होता है, जबकि 1 अणु ऑक्सीजन बराबर होती है 32 AMU के।

    (quantum number in hindi) क्वाण्टम संख्या : मुख्य , कक्षीय , चुम्बकीय , चक्रण क्वांटम संख्याएँ : किसी भी परमाणु में इलेक्ट्रॉन और परमाणु से सम्बद्ध इलेक्ट्रॉन की सम्पूर्ण जानकारी को उसकी क्वाण्टम संख्याओं के आधार पर बताया जाता है। किसी भी परमाणु में कक्षाएं तथा उपकक्षायें होती है। परमाणु में उपस्थित इलेक्ट्रॉन की स्थिति , ऊर्जा , आकार , आकृति आदि कई प्रकार की जानकारी क्वाण्टम संख्या के आधार पर दी जा सकती है।

    इलेक्ट्रान की अलग अलग जानकारी को अलग अलग क्वाण्टम संख्या द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।

    क्वाण्टम संख्या चार प्रकार की होती है , इन चारों क्वाण्टम संख्याओं के आधार पर किसी परमाणु से सम्बद्ध इलेक्ट्रॉन की सम्पूर्ण जानकारियों को प्रदर्शित किया आता है

    1. मुख्य क्वाण्टम संख्या 

    मुख्य क्वाण्टम संख्या हमें निम्न बाते बताती हैं , जैसे -

  • (A) इलेक्ट्रॉन किस कक्षा में है ,
  • (B) इलेक्ट्रॉन की कक्षा की ऊर्जा कितनी है ,
  • (C) इलेक्ट्रॉन की कक्षा की त्रिज्या कितनी है ।
  • मुख्य क्वाण्टम संख्या को (n) से प्रदर्शित करते हैं ।

    2. दिगंशी क्वाण्टम संख्या 

    दिगंशी क्वाण्टम संख्या हमें निम्न बातें बताती है , जैसे -
  • (A) इलेक्ट्रॉन किस उपकक्षा में है ,
  • (B) इलेक्ट्रॉन की कक्षा की ऊर्जा कितनी है ,
  • (C) इलेक्ट्रॉन की कक्षा की त्रिज्या कितनी है ।
  • दिगंशी क्वाण्टम संख्या को ( l ) से प्रदर्शित करते हैं , तथा इसका मान ( n - 1 ) तक होता है ।

    3. चुम्बकीय क्वाण्टम संख्या 

    वह संख्या , जो इलेक्ट्रॉन - कक्षा तल की स्थिति को प्रकट करती है , चुम्बकीय क्वाण्टम संख्या कहलाती है । इसे ( m ) से प्रदर्शित करते हैं । तथा यह दिगंशी क्वाण्टम ( l ) पर निर्भर करती है , इसके मान - l से + l तक होते हैं , जबकि कुल मान = 2 l + 1 होते हैं ।

  • यदि l = 0 तो m = 0
  • यदि l = 1 तो m = -1 , 0 , +1
  • होगा ।

    4. चक्रण क्वाण्टम संख्या 

    चक्रण क्वाण्टम संख्या हमें बताती है , कि इलेक्ट्रॉन किस दिशा में चक्रण कर रहा है । तथा चक्रण क्वाण्टम संख्या को ( s ) से प्रदर्शित करते हैं । तथा इसका मान - 1/2 से + 1/2 तक और + 1/2 से - 1/2 तक होता है ।

    समस्थानिक: उन तत्वों के परमाणु जिनकी द्रव्यमान संख्याएँ तो समान होती हैं लेकिन परमाणु संख्याएँ भिन्न होती हैं उन्हें समस्थानिक कहते हैं जैसे: क्लोरीन के दो समस्थानिक है जिसकी परमाणु संख्या तो 17 है और द्रव्यमान संख्या 35 और 37 हैं।

    समभारिक : उन तत्वों के परमाणु जिनकी द्रव्यमान संख्या समान हों, परन्तु परमाणु संख्याएँ भिन्न हों, समभारिक कहलाते हैं। जैसे: Ne की परमाणु संख्या 10 है और Na की परमाणु संख्या 11 है लेकिन उनकी द्रव्यमान संख्या 22 है।

    समस्थानिक के उपयोग

  • कोबाल्ट-60 का उपयोग कैंसर के रोगियों को ठीक करने में किया जाता है।
  • आयोडीन-131 का उपयोग गलगंड रोग के उपचार में किया जाता है।
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