विद्युत धारा
विद्युत आवेश के प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते हैं। विद्युत धारा को धनावेशों का प्रवाह माना गया तथा धनावेश के प्रवाह की
दिशा को ही विद्युत धारा की दिशा माना गया। परिपाटी के अनुसार किसी विद्युत परिषथ में इलेक्ट्रॉनों जो ऋणावेश हैं, के प्रवाह की दिशा के विपरीत दिशा को विद्युत धारा की दिशा माना जाता है।
विद्युत आवेश का SI मात्रक कूलॉम (C) है। इसकी मूल इकाई ऐम्पियर (A) है। इस मात्रक का नाम
आंद्रे-मेरी ऐम्पियर (775-836) नाम के फ्रांसीसी
वैज्ञानिक के नाम पर रखा गया । विद्युत धारा
मापने के लिए ऐमीटर का उपयोग करते हैं।
स्थिर विद्युत
यह एक प्रकार की ऊर्जा है। जिस प्रकार पानी के एक स्थान से दूसरे स्थान तक
बहने को पानी की धारा कहा जाता है, उसी प्रकार विद्युत आवेश
जब एक स्थान से दूसरे स्थान तक बहने लगता है, तो इसे हम
विद्युत की धारा कहते हैं।
यदि आवेश एक ही स्थान पर स्थिर रहे तो इसे स्थिर विद्युत कहा जाता है।
यदि एक कंघी को किसी रेशम या ऊन के सूखे कपड़े से कुछ समय तक रगड़ा जाये तो
यह कंघी कागज़ के छोटे-छोटे टुकड़ों को अपनी ओर आकर्षिक करने लगती है। ऐसा इसलिये
होता है कि रेशम या ऊन से रगड़ने पर कंघी में विद्युत आवेश आ जाता है।
विद्युत आवेश दो प्रकार का होता है। एक को ऋण आवेश तथा दूसरे को धन आवेश
कहते हें।
धन आवेशः-काॅच की छड़ पर रेशम के कपड़े से रगड़ने से उत्पन्न आवेश
को धन आवेश(charge) कहते है।
ऋण आवेशः-एबोनाईट की छड़ पर फलालेन के कपड़े से रगड़ने से उत्पन्न
आवेश को ऋण आवेश कहते है।
विद्युत क्षेत्रः-किसी आवेश के चारो ओर का वह क्षेत्र जहाॅ
तक उसके प्रभाव का अध्ययन किया जाता है, उस आवेश का विद्युत
क्षेत्र (electric field)कहलाता है।
ओम का नियम किसे कहते हैं? what is Ohm's law?
What is magnetism? चुम्बकत्व क्या है?
विद्युत विभव और विभवांतर किसे कहते हैं
प्रकाश, प्रकाश परावर्तन एवं प्रकाश तरंगधैर्य
चालकः-वे पदार्थ जिनमें इलेक्ट्रानों की संख्या बहुत अधिक होती है चालक(Conductor) कहलाते है। इनमें विद्युत का चालन सम्भव होता है। उदाहरणः- Al, Ag,
Cu
कुचालक या विद्युतरोधीः-वे पदार्थ जिनमें इलेक्ट्रानों की संख्या
बहुत कम(लगभग नगण्य) होती है कुचालक या विद्युतरोधी(Insulator) कहलाते है। इनमें विद्युत का चालन सम्भव नहीं होता है। उदाहरणः- लकड़ी,काॅंच, एबोनाईट
अर्द्धचालकः-वे पदार्थ जिनमें इलेक्ट्रानों की संख्या न तो बहुत
अधिक और न ही बहुत कम होती है अर्द्धचालक(Semiconductor) कहलाते है।
इनमें उच्च ताप पर ही विद्युत का चालन सम्भव होता है। उदाहरणः-Si, Ge
विद्युत बल रेखाः-विद्युत क्षेत्र में खींचा गया वह
काल्पनिक वक्र जिसके किसी बिन्दु पर खींची गई स्पर्श रेखा उस बिन्दु पर विद्युत
क्षेत्र की दिशा प्रदर्शित करती है।
विद्युत विभव और विभवांतर
किसी चालक तार में आवेशों के प्रवाह के लिए, वास्तव में, गुरुत्व बल की कोई भूमिका नहीं होती। इलेक्ट्रॉन केवल तभी गति करते हैं जब
चालक के अनुदिश वैद्युत दाब में कोई अंतर होता है, जिसे
विभवांतर कहते हैं। किसी धारावाही विद्युत परिपथ के दो बिंदुओं के बीच विद्युत
विभवांतर को हम उस कार्य द्वारा परिभाषित करते हैं जो एकांक आवेश को एक बिंदु से
दूसरे बिंदु तक लाने में किया जाता है।
V= W/Q
विद्युत विभवांतर का SI मात्रक वोल्ट (V) है जिसे इटली के भौतिकविज्ञानी अलेसान्द्रो वोल्ट के नाम पर रखा गया है।
विभवांतर की माप एक यंत्र द्वारा की जाती है जिसे वोल्टमीटर कहते हैं। बोल्टमीटर
को सदैव उन बिंदुओं से पार्श्वक्रम में संयोजित करते हैं जिनके बीच विभवांतर मापना
होता है।
ओम का नियम
1827 में जर्मन भौतिकविज्ञानी जार्ज साईमन ओम ने, किसी धातु के तार में प्रवाहित विद्युत धारा तथा उसके सिरों के बीच
विभवांतर में परस्पर संबंध का पता लगाया। एक विद्युत परिषथ में धातु के तार के दो
सिरों के बीच विभवान्तर उसमें प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा के समानुपाती होता
है, परंतु तार का ताप समान रहना चाहिए। इसे ओम का नियम
कहते हैं।
कूलाम का नियम
कूलाम नियम विधुत आवेशों के बीच लगने वाले स्थिरवीधुत बल के बारे में एक
नियम है जिसे कूलम्ब नामक फ्रांसिस scientist ने 1790 के दशक में प्रतिपादित किया था ।यह नियम विद्युत चुम्बकत्व के सिद्धान्त
के विकास के लिए आधार का काम किया ।यह नियम अदिश रूप में या सादिस रूप ब्यक्त किया
जा सकता है । अदिश रूप में यह नियम निम्नलिखित है।
“दो बिंदु आवेशों के बीच लगने वाले स्थिरवीधुत बल का मान उन
आवेशों के गुणनफल के समाँनुपाती होती है। तथा उन आवेशो के बीच के दुरी के वर्ग
ब्यूतक्रमानुपाती होता है।
👉प्रत्यास्थता (Elasticity), किसे कहते हैं, एवं हुक का नियम।
👉तरल श्यानता किसे कहते हैं? Viscosity
👉 सरल आवर्त्त गति किसे कहते हैं, सरल लोलक किसे कहते हैं
👉तरंग किसे कहते हैं, तरंगें कितने प्रकार की होतीं हैं?