विश्व में कितने प्रकार के मैदान पाये जाते हैं , मैदान किसे कहते हैं, मैदान कितने प्रकार के होते हैं

मैदान

मैदान 500 फ़ीट से कम ऊँचाई वाले भू-पृष्ठ के समतल भाग को कहा जाता है। मैदानों में ढाल प्राय: बिल्कुल नहीं होता है और इस प्रकार के क्षेत्रों में आकर नदियों के प्रवाह में भी कमी आ जाती है। धरातल पर मिलने वाले अपेक्षाकृत समतल और निम्न भू-भाग को मैदान कहा जाता है। इनका ढाल एकदम न्यून होता है।

विश्व में कितने प्रकार के मैदान पाये जाते हैं , मैदान किसे कहते हैं, मैदान कितने प्रकार के होते हैं


मैदान अनेक प्रकार के होते हैं, जैसे-

अपरदनात्मक मैदान - 

ऐसे मैदानों का निर्माण अपक्षय तथा अपरदन की क्रियाओं के परिणामस्वरूप होता है। नदी, हिमानी, पवन जैसी शक्तियों के अपरदन से इस प्रकार के मैदान बनते हैं। जैसे उत्तरी कनाडा, उत्तरी यूरोप, पश्चिमी सर्बिया आदि। ये मैदान भी निम्नलिखित प्रकार के होते हैं-

लोएस मैदान - 

हवा द्वारा उड़ाकर लाई गई मिट्टी एवं बालू के कणों से निर्मित होता है।

कार्स्ट मैदान - 

चूने पत्थर की चट्टानों के घुलने से निर्मित मैदान।

समप्राय मैदान -

समुद्र तल के निकट स्थित मैदान, जिनका निर्माण नदियों के अपरदन के फलस्वरूप होता है।

ग्लेशियर मैदान -

हिम के जमाव के कारण निर्मित दलदली मैदान, जहाँ पर केवल वन ही पाए जाते हैं।

रेगिस्तानी मैदान - 

वर्षा के कारण बनी नदियों के बहने के फलस्वरूप इसका निर्माण होता है।

निक्षेपात्मक मैदान - 

अपरदन के कारकों द्वारा धरातल के किसी भाग से अपरदित पदार्थों को परिवहित करके उन्हें दूसरे सथान पर निक्षेपित कर देने से एसे मैदानों की उत्पत्ति होती है। उदाहरण- गंगा-ब्रह्मपुत्र का मैदान (उत्तर भारत), ह्वांगो (चीन) आदि। नदी निक्षेप द्वारा बड़े–बड़े मैदानों का निर्माण होता है। इसमें गंगा, सतलुज, मिसी–सिपी एवं ह्वाग्हों के मैदान प्रमुख हैं। इस प्रकार के मैदानों में जलोढ़ का मैदान, डेल्टा का मैदान प्रमुख है।

रचनात्मक मैदान- 

रचनात्मक मैदानों का निर्माण पटल विरुपणी बलों के परिणामसवरूप समुद्री भागों में निक्षेपित जमावों के ऊपर उठाने से होता है। जैसे कोरोमण्डल व उत्तरी सरकार (भारत)।
Previous Post Next Post