वायुमंडलीय दाब, पवन
वायुदाब Atmospheric pressure :- भूपृष्ठ पर वायुमण्डल के दाब या भार को वायुमण्डलीय दाब या वायुदाब या वायुभार कहते हैं। पृथ्वी के चारों ओर कई सौ किलोमीटर की ऊँचाई तक वायु का आवरण फैला है। वायु के इस आवरण का धरातल पर भारी दबाव पड़ता है। अनुमान लगाया गया है कि समुद्रतल के समीप प्रति वर्ग सेण्टीमीटर भूमि पर 1.25 किलोग्राम वायुदाब होता है। अत: हम सदैव ही 112 किलोग्राम वायु का भार अपने ऊपर लादे फिरते हैं, किन्तु फिर भी हमें वायु का कोई दबाव अनुभव नहीं होता। इसका कारण यह है कि हमारे चारों ओर वायु का दबाव समान रूप से पड़ता है। हम वायु के इस महासागर के नीचे उसी प्रकार रह रहे हैं जैसे कि समुद्र के अन्दर जल-जीव निवास करते हैं।
समदाब रेखाएँ Isobars:- ये वे कल्पित रेखाएँ हैं जो पृथ्वी के धरातल पर समान वायुदाब वाले स्थानों को जोड़ती हैं। मानचित्रों में वायुदाब इन्हीं रेखाओं द्वारा प्रकट किया जाता है। मानचित्रों में इन रेखाओं को बनाने के पूर्व वायुदाब को सागर तल के वायुदाब में बदल लेते हैं, क्योंकि ऊँचाई के अनुसार वायुदाब कम हो जाता है, अतः यदि किसी स्थान का वायुदाब 650 मिलीबार है और यह सागरतल से 2,750 मीटर ऊँचा है तो उस स्थान का वास्तविक वायुदाब 330 मिलीबार कम है,( ऊपर जाने पर प्रति 100 मीटर पर 12 मिलीबार वायुदाब घटता है) अतः सागरतल पर उसका वायुदाब 980 मिलीबार (650 + 330) होगा।
विषुवत रेखीय न्यून दाब पेटी Equatorial Low Pressure Belt:- यह विषुवत रेखा के समीप 5° उत्तर और दक्षिण के बीच पायी जाती हैं। यहाँ वर्ष भर सूर्य की किरणे सीधी पड़ने के कारण तापमान ऊँचा रहता है, अतः निम्न वायुदाब पाया जाता है। इस क्षेत्र में गरम भूमि के सम्पर्क से वायु भी गरम हो। जाती है और हल्की होकर ऊपर उठती है तथा वायुमण्डल के ऊपरी स्तरों से ठण्डी वायु पृथ्वी के धरातल पर नीचे उतरती है। इस प्रकार वायुमंडल में संवहन धाराएँ ( convectional currents) उत्पन्न हो जाती हैं। पवन धरातल के समान्तर नहीं चलती। इसी कारण इस क्षेत्र को शान्त खण्ड (Doldrums) भी कहते हैं। यहां दोनों ओर से आने वाली स्थायी पवनों का मिलन या अभिसरण (convergence) होता है, अतः इस मेखला को अन्तः उष्णकटिबन्धीय अभिसरण क्षेत्र (Inter-tropical Convergence zone) भी कहते हैं। इस कटिबन्ध में प्रतिदिन वर्षा होती है अतः इसका भी प्रभाव वायुदाब पर पड़ता है।
उपोष्ण उच्च वायुदाब पेटियाँ Tropical High Pressure belt:- उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्ध में 30° और 35° अक्षांशों के बीच में उच्च वायुदाब की मेखलाएँ स्थित हैं। वायुदाब की ये मेखलाएँ पृथ्वी की गति के कारण उत्पन्न होती हैं। इन मेखलाओं में वायु सदा ऊपर से नीचे उतरती है, अतः उनका दाव बढ़ जाता है। इन मेखलाओं को अश्व अक्षांश (Horse Latitudes) भी कहा जाता है, क्योंकि मध्ययुग में पालदार जलयानों से यात्रा करते समय अपनेअपने साथ घोड़े, आदि ले इन मेखलाओं में आने पर जलयान शान्त पेटियों के कारण आगे चल नहीं पाते थे, अतः जहाजों का भार हल्का करने के लिए घोड़ों को समुद्र में फेंक दिया करते थे। इस कारण इन मेखलाओं को अश्व अक्षांश कहा जाता है। पवनों की गति अधोमुखी होने के कारण इन कटिबन्धों में पवन संचार बहुत धीमा रहता है, अतः इन कटिबन्धों को शान्त कटिबंध (Belt of Calm) भी कहते हैं।
उपध्रुवीय न्यून वायुदाब पेटियां Sub Polar Low Pressure Belts:- ये 60° से 66½° के बीच पायी जाती हैं। इनमें न्यून वायुदाब पाया जाता है।
ध्रुवीय उच्च वायुदाब पेटियाँ Polar High Pressure Belts:- ध्रुव वृतों से ध्रुवों की ओर जाने पर वायुदाब बढ़ता जाता है। ध्रुवों के निकट तो उच्च वायुदाब का एक विशेष क्षेत्र बन जाता है। जिस प्रकार विषुवत् रेखा के निकट न्यून वायुदाब का कारण तापमान की अधिकता है, उसी प्रकार ध्रुवों के समीप उच्च वायुदाब का कारण तापमान की न्यूनता है
ठहरी हुई वायु (air) को हवा तथा गतिमान वायु को पवन (wind) कहा जाता है, लेकिन सामान्यतः दोनों को एक ही माना जाता है.
इन पवनों को मुख्य तौर तीन प्रकारों में बांटा जा सकता है. (क.) स्थायी पवनें (Permanent wind) (ख.) दैनिक एवं मौसमी पवनें (Daily and seasonal wind) (ग.) स्थानीय पवनें (Local wind).
स्थायी पवनें – Permanent wind:- स्थायी पवनें आधारभूत और व्यापक पवन संचार प्रणाली है इन्हें वायुमंडल का प्राथमिक परिसंचरण कहा जाता है. प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से विभिन्न वायुमंडलीय हलचलें या परिघटना स्थायी पवन से संबंधित है. स्थायी पवनों को प्रचलित पवनें (popular wind) भी कहा जाता है.
मौसमी पवन एवं दैनिक पवन Seasonal wind & Daily wind:- मौसमी पवन मौसम विशेष में उत्पन्न होने वाली पवन है. यह मौसमी प्रभाव उत्पन्न करते है और मौसम परिवर्तन के साथ समाप्त भी हो जाते है. मौसमी पवनों का क्षेत्र अधिक व्यापक नहीं होता है. यह मुख्यतः दिन एवं रात के तापमान में अंतर के कारण उत्पन्न होती है. दैनिक पवनों को इस श्रेणी में रखा जा सकता है क्योंकि दैनिक पवनों की उत्पत्ति दिन एवं रात में मौसमी परिवर्तन के कारण होती है.
स्थानीय पवन – Local wind:- Local wind वायुमंडल के विशिष्ट परिसंचरण प्रणाली है. यह मुख्यतः स्थानीय स्तर पर तापमान एवं वायुदाब की विशिष्ट दशाओं के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती है. कई विशिष्ट स्थानीय पवनें प्रत्यक्षतः वायुमंडल की द्वितीय परिसंचरण प्रणाली जैसे चक्रवात एवं प्रतिचक्रवात से संबंधित होती है इसी कारण इन्हें वायुमंडल का तृतीय परिसंचरण कहा जाता है.