ज्वालामुखी
ज्वालामुखी भूपटल पर वह प्राकृतिक छेद या दरार है जिससे होकर पृथ्वी के अन्दर का पिघला पदार्थ, गैस या भाप, राख इत्यादि बाहर निकलते हैं. पृथ्वी के अन्दर का पिघला पदार्थ, जो ज्वालामुखी से बाहर निकलता है, भूराल या लावा (Lava) कहलाता है. यह बहुत ही गर्म और लाल रंग का होता है. लावा जमकर ठोस और काला हो जाता है जो बाद में जाकर ज्वालामुखी-चट्टान के नाम से जाना जाता है. लावा में इतनी अधिक गैस होती है
ज्वालामुखी के प्रकार
उदगार अवधि के अनुसार ज्वालामुखी तीन प्रकार के होते हैं.
1-सक्रिय ज्वालामुखी
2-प्रसुप्त ज्वालामुखी
3-मृत या शांत ज्वालामुखी
सक्रिय ज्वालामुखी Active Volcano इसमें अक्सर उदगार होता हैं. वर्तमान समय में विश्व में सक्रिय ज्वालामुखियों की संख्या 500 हैं. इनमे प्रमुख हैं – इटली का एटना तथा स्ट्राम्बोली. मैक्सिको (उत्तरी अमेरिका) में स्थित कोलिमा ज्वालामुखी बहुत ही सक्रिय ज्वालामुखी हिं. इसमें 40 बार से अधिक उदगार हो चुका हैं.
प्रसुप्त ज्वालामुखी | Dormant Volcano जिसमें निकट अतीत में उदगार नही हुआ हैं, लेकिन इसमें कभी भी उदगार हो सकता हैं. इसके उदाहरण हैं –
विसुवियस (भूमध्य सागर)
क्राकाटोवा (सुंडा जलडमरूमध्य)
फ्यूजीयामा (जापान)
मेयन (फिलिपीन्स)
शांत ज्वालामुखी | Extinct Volcano ऐसा ज्वालामुखी जिसमें एतिहासिक काल से कोई उदगार नही हुआ है और जिसमें पुनः उदगार होने की संभावना न हो. इसके उदाहरण हैं –
कोह सुल्तान एवं देमवन्द (ईरान)
पोपा (म्यांमार)
किलिमंजारो (अफ्रीका)
चिम्बराजो (दक्षिण अफ्रीका)
भारत के ज्वालामुखी (Volcano in India)
भारत में कुछ ख़ास जगहों पर ज्वालामुखी विस्फोट देखने मिलता है।बारेन आइलैंड : बारेन आइलैंड अंडमान सागर में स्थित है. यहाँ पर दक्षिण एशिया का एकमात्र सक्रिय ज्वाला मुखी देखने मिलता है. इसका पहला विस्फोट सन 1787 मे देखा गया था। उसके बाद ये ज्वालामुखी दस से भी अधिक बार प्रस्फुटित हो गया है। इसी साल 2017 के फ़रवरी के महीने में भी एक बार ये ज्वालामुखी सक्रिय हो उठा. इसकी ऊँचाई 353 मीटर की है।
नर्कांदम आइलैंड : ये भी अंडमान सागर में स्थित एक छोटा सा आइलैंड है, जिसकी ऊंचाई औसत समुद्री ताल से 710 मीटर है. इस आइलैंड के दक्षिणी पश्चिमी क्षेत्र में कुछ सक्रिय ज्वालामुखी पाए जाते है. इस आइलैंड का क्षेत्रफल 7.63 किमी है. इस पर स्थित ज्वालामुखी की लम्बाई 710 मीटर की थी.
डेक्कन ट्रैप्स : डेक्कन पठार पर स्थित यह प्रान्त ज्वालामुखी के लिए अनुकूल है. कई वर्षों पहले यहाँ पर ज्वालामुखी का विस्फोट देखा गया था.
बरतंग आइलैंड : इस आइलैंड पर ‘मड वोल्कानो’ पाया गया है. पिछली बार सन 2003 में इस पर ज्वालामुखी देखा गया था.
धिनोधर हिल्स : ये गुजरात में स्थित है. यहाँ मृत ज्वालामुखी पायी जाती है. इस मृत ज्वालामुखी की ऊंचाई 386 मीटर है.
दोषी हिल : ये हरियाणा में स्थित है. इस पर भी मृत ज्वालामुखी देखी गयी है, जिसकी ऊंचाई 540 मीटर की है.
ज्वालामुखी के बारे में रोचक जानकरियाँ
सक्रिय ज्वालामुखी अधिकांशतः “प्रशांत महासागर” के तटीय भाग में पाया जाता हैं. प्रशांत महासागर के परिमेखला को “अग्नि वलय” ( Fire ring of the pacific ) भी कहते हैं.
सबसे अधिक सक्रिय ज्वालामुखी अमेरिका एवं एशिया महाद्वीप के तटों पर स्थित हैं.
ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप में एक भी ज्वालामुखी नही हैं.
विश्व का सबसे ऊँचा ज्वालामुखी पर्वत “कोटापैक्सी” (इक्वेडोर) हैं, जिसकी ऊँचाई 19,613 फीट हैं.
विश्व की सबसे ऊँचाई पर स्थित सक्रिय ज्वालामुखी “ओजस डेल सालाडो” (6885मी.) एण्डीज पर्वतमाला में आर्जेन्टीना चिली देश के सीमा पर स्थित हैं.
विश्व की सबसे ऊँचाई पर स्थित शान्त ज्वालामुखी एकान्कागुआ (Aconcagua) एण्डीज पर्वतमाला पर ही स्थित हैं, जिसकी ऊँचाई 6960 मी. हैं.
स्ट्राम्बोली भूमध्य सागर में सिसली के उत्तर में लिपारी द्वीप पर अवस्थित हैं. इसमें सदा प्रज्वलित गैस निकला करती हैं, जिससे आस-पास का भाग प्रकाशित रहता हैं, इस कारण इस ज्वालामुखी को “भूमध्य सागर का प्रकाश स्तम्भ” कहते हैं.
गेसर (Geyser) बहुत से ज्वालमुखी क्षेत्रो में उदगार के समय दरारों तथा सूराखो से होकर जल तथा वाष्प कुछ अधिक ऊँचाई तक निकलने लगते हैं. इसे ही गेसर कहा जाता हैं.