Malnutrition and its effects, कुपोषण और इसके प्रभाव

 

कुपोषण और इसके प्रभाव

भोजन से हमें दैनिक कार्यों के लिये ऊर्जा प्राप्त होती है। इससे शरीर में वृद्धि और अनेक रोगों से सुरक्षा होती है । यदि सिर्फ भूख मिटाने से हमें काम करने के लिये शक्ति मिल जाये तो क्या हम स्वस्थ एवं निरोग रह सकते हैं ? सायद नहीं । स्वस्थ रहने के लिये हमें संतुलित भोजन करना चाहिये, जिसमें ऊर्जा देने वाले पदार्थ ( कार्बोहाड्रेट्स और वसा ) शरीर की वृद्धि करने वाले पदार्थ (प्रोटीन) तथा सुरक्षा प्रदान करने वाले पदार्थ (विटामिन और खनिज लवण ) संतुलित मात्रा में हों।

बच्चों का शरीर तेजी से बढ़ता है । वे खेलते – कूदते भी हैं इसलिये उन्हें ऊर्जा देने वाले तथा प्रोटीन युक्त भोजन की आवश्यकता होती है। उन्हे चावल, रोटी, चीनी, आलू, सब्जियों और फलों के साथ दूध, दही, पनीर, अंडा, सोयाबीन, मांस दाल, जैसे प्रोटीन वाले पदार्थ भोजन के साथ अनिवार्य रूप से दिये जाने चाहिये। मनुष्य का आहार उनकी आयु पर निर्भर करता है।

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कुपोषण

यदि हम अपनी आवश्यकता से अधिक भोजन ग्रहण करते हैं तो हमारा शरीर मोटा हो जाता है, और अपच की शिकायत रहती है। वहीं दूसरी ओर गरीबी और अज्ञानता के कारण निर्धारित मात्रा से कम या असंतुलित भोजन करने से हमारे शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है जिससे शरीर कमजोर हो जाता है और शरीर की वृद्धि रुक जाती है और अनेक रोग हो जाते हैं इसे ही कुपोषण कहते हैं।


कुपोषण होने के प्रमुख कारण

  • माता पिता की अज्ञानता।
  • गरीबी के कारण।
  • बच्चे को माँ का दूध पर्याप्त मात्रा में न मिलना ।
  • आहार में दाल, दलिया, फल और हरी सब्जियों का पर्याप्त मात्रा में न मिलना।

 

कुपोषण से रक्षा करने वाले मुख्य पदार्थ विटामिन और खनिज लवण हैं ।

पोषक तत्वों के श्रोत  और उनकी कमी से होने वाले प्रमुख रोग-पोषक तत्वों के श्रोत  और उनकी कमी से होने वाले प्रमुख रोग-



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